Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 122
________________ जो इसकरंडगं ७९ ६७ पंचमे वतिवाते किं चंदणक्खत्तं ? ति जदि बावत्तरीय वतिवातेहिं सत्तट्ठी चंदणक्खत्तपज्जया लब्भंति पंचहिं वतिवातेहिं किं लब्भामो ? त्ति फले संकते पंचहिं गुणिता सत्तट्ठी ६७ बावत्तरीय ७२ लद्धा चत्तारि पज्जया, तेहिं ण कज्जं, सेसा सत्तचत्ताला ४७, सेसे णक्खत्ताणि काहामो त्ति अट्ठारस हिं तीसेहिं सत्तट्ठिभागेहिं ' गुणेहामो त्ति छेद- गुणकारा छन्भागेणोवट्टिता जाया गुणकारो तिणि सया पंचुत्तरा ३०५, छेदो बारस, " अंसा अंसगुण " त्ति अंसा सत्तचत्तालीसा ४७ विहिं सतेहिं पंचुत्तरेहिं ३०५ गुणिता जाया चोदस सहस्सा तिणि सया पणतीसा १४३३५, "छेदो छेदेण गुणो" सत्तट्ठी बारसगुणा जाया अट्ठ सया चउरुत्तरा ८०४, अंसेहिंतो अभिजिजावंतावा एक्कावीसा बारसहिं गुणिता बे सया बावण्णा २५२ सुद्धा, सेसाणं छेदेण भागलद्धा सत्तरस १७, सेसा चत्तारि सया पण्णारा ४१५, एते मुहुत्ते काहामो त्ति तीसाछ-भागो पंच ५ छेदस्स छन्भागो चोत्तीससयं १३४, अंसेहिंतो पंच हिं गुणितेहिंतो छेदॆण लद्धा पण्णरस मुहुत्ता पण्णट्ठी चोत्तीससतभागा मु० १५,६४, उवरिं सत्तरस १७ लद्धा, ते होंति "पंच दस तेरस० " [गा० १७१] त्ति तेरसहिं पुणव्वसू सुद्धो, सेसा चत्तारि, एत्थऽन्तरे असिलेसा अद्धखेत्त ति पण्णरस १५ मुहुत्ते य पक्खित्ता जाया तीसं ३० मुहुत्ता, एवं पुरसादिगं चउत्थं णक्खत्तं पुव्वाओ फग्गुणीओ भुत्ताओ, उत्तराणं तीसं मुहुत्ते भोत्तूणं पणकिं च चोत्तीससयभागे मु० ३०, ३४ ओगाहितृणं पंचमो वतिवातो होहिति त्ति । एवं सव्वत्थ । १८३० ६७ पंचमे वतिवाते किं सूरणक्खत्तं ? ति एत्थ करणं - जति बावत्तरीय ७२ वतिवातेहिं पंच ५ सूरणक्खत्तपज्जया लब्धंति पंचहिं वतिवातेहिं किं लब्भामो ? त्ति फले संकंते गुणिते च लद्धा पणुवीसं बावत्तरीय भागा, एते णक्खत्ताणि काहामो ति अट्ठारसहिं सतेहिं तीसेहिं सत्तट्ठिभागेहिं ° गुणेहामो त्ति गुणगार- छेदा छन्भागेणोवट्टिता गुणकारा तिण्णि सया पंचुत्तरा ३०५ गुणिता जाया छावतारं सया पणुवीसा ७६२५, "छेदा छेदगुणा " बारसगुणा सत्तट्ठी अट्ठ सया चतुरुत्तरा ८०४, अंसेहिंतो पूसस्स चोत्तालीसं ४४ भागा बारसगुणा पंच सया अट्ठावीसा ५२८ सुद्धा, सेसाणं छेदेण भागो, लद्धा अट्ठ णक्खत्ता, णक्खत्तेसु भागं ण देंति णक्खत्तभागे काहामो त्ति सत्तट्ठीय ६७ पंचभागेहिं ५ गुणेामो त्ति सत्तट्ठीय सत्तट्ठिभागो एक्को छेदस्स सत्तट्ठिभागो, बारस अंसा एक्केण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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