Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 127
________________ पाययटिप्पणगसमे यं गुणिता जाया सत्तचत्तालीसं जोयणसहस्साणि बे सताणि तेवट्ठाणि एक्कावीसं च सट्ठिभागा ४७२६३ः। एवं पढममंडलातो जद्दूरातो सूरो इधगतस्स पुरिसस्स [चक्खुप्फासं] हव्वमागच्छति त्ति ॥ ३२३ ॥ ८४ सां चेव मुहुत्तगती गुणिता दिवसेण होति पुण्णेणं । सो आवविक्खंभो तहिं तहिं मंडले रविणो ॥ ३२४ ॥ सा चैव पुव्वदिट्ठा मुहुत्तगती संपुण्णेण दिवसेणं अट्ठारसहिं मुहुत्तेहिं गुणता आता विक्खंभो होति त्ति चउणउत्तिं सहस्सा पंच सया छव्वीसा बायालीसं च सट्ठिभाग ९४५२६० त्ति । एवं सव्वत्थ ॥ ३२४ ॥ Jain Education International [' तावं - तावखेत्तं ' ति अट्ठारसमं पाहुडं समत्तं - १८ ] [१९. एगूणवीसइमं 'दिवसाणं वड्ढि 'त्ति पाहुडं] बारसं धुवा मुहुत्ता दिवसो, रेंत्ती वि होति बारसिंगा । छ चै चरा तु मुहुत्ता अंतिंति रँत्तिं च दिवसं च ॥ ३२५ ॥ रति अंर्तिति अयणम्मि दक्खिणे, उत्तरे दिणमंर्तिति । ऐसो उ अहोरत्तो तीस मुहुत्तो हवति सव्वो ॥ ३२६ ॥ एयाओ पागडत्थाओ गाहाओ || ३२५ ॥ ॥ ३२६ ॥ १. सा एव मुहुत्तगती गुणिया पुण्णेण होति दिवसेण । जे० खं० । एवस्थाने एस इति खं० ॥ २. अस्या गाथायाः प्राग् जे० खं० आदर्शयोरियमेका गाथाऽधिका दृश्यते— सेसस्स फलनिवत्ती कायन्वा होइ आणुपुवीए । एतं तावक्खेतं, अहो निसाणं पुण पमाणं ॥ इति ॥ ३. स य धुवमु जे० खं० ॥ ४. रत्ती य हो' जे० खं० ॥ ५. व उ चरा मुळे मु० । च चउरा मुळे जेटि० खंटि ० पु० ॥ ६. भयंति मु० वि० ॥ ७. रातिं च जे० खं० ॥ ८. राती जे० खं० ॥ ९. अयंति मु० वि० ॥ १०. मयंति मु० वि० ॥ ११. एवं तु अहोरत्तो मु० म० । एवं तु महोरत्तं जे० । एते तु महोर ते खं० ॥ १२. मुहुत्ते हवइ सन्यं जे० खं० ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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