Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 163
________________ १२० विसेसनाम लवण लवणतोय जोइस करंड मूल - टिप्पणग अंतरगयाणं विसेसनामाणमणुकमो कि ? गाहंकाइ ) समुद्रः गा० १३१ गा० ३०५ गा० ३१५, पृ० २७ पं० ८ पं० १३ पं० १८, पृ० ४७ पं० १५ लवणसागर वद्धमाण तीर्थकरः गा० १ विदेह विदेहवास क्षेत्रम् दृश्यतां 'महाविदेह' सयंभुरमण समुद्रः पृ० २७ पं० १६ सिवनंदि निर्ग्रन्थः- वाचकः, प्रस्तुतग्रन्थटिप्पन ककारः पृ० १११ पं० १० Jain Education International विसेसनाम कि ? गाईकाइ सिहरी नगः गा० १८७, पृ० ४१ पं० ११ पं० १४ सूरपण्णत्ति जैनागमः गा० ७ सोमणस वनम् पृ० ४६ पं० ८-९ पं० १६ पं० २१ हरिवस्स हरिवास हेमवत क्षेत्रम् गा० १८६, पृ० ४१ पं० ८ पं० १४ क्षेत्रम् गा० १८६, पृ० ४१ पं० ८ पं० १५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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