Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 126
________________ जोइसकरंडगं बाहिरपरिरयरासी तिगुणे दसभाजितम्मि जं लद्धं । तं होति तावखेत्तं अब्भंतरमंडलगतस्स ॥ ३२१॥ सव्वब्भंतरमंडलगतस्स सूरस्स तध चेव विक्खंभो । तस्सेव मंडलस्स तिगुणस्स दसभागे सव्वन्भंतरगते सूरे जंबुद्दीवस्स परिरयस्स तेगुणस्स दसभागो जंबुद्दीवपरिरये आतावविक्खंभो सबभंतरगते सूरे । सव्वबाहिरमंडलपरिरयस्स तिगुणदसभागो बाहिरमंडलपरिरयो आयावविक्खंभो। एवं सव्वत्थ तिगुणपरिरयो दसभागो आतावविक्खंभो ॥३१९ ॥३२० ॥ ३२१॥ बाहिरपरिरयरासीबिगुणे दसभातियम्मि जं लद्धं । तं होइ तावखेत्तं बाहिरए मंडले रविणो ॥ ३२२ ॥ बाहिरमंडलगते आदिच्चे जहिं जहिं मंडले आतावविक्खंभो इच्छति तस्स तस्स मंडलपरिरयस्स बिगुणसदसभागो जत्थ आतावविक्खंभो ति । जदि दसहिं भागेहिं तिण्णि भागा लभंति तो इच्छितेण परिरयेण किं लब्भामो ? त्ति एवं दसभागहाणी गणिज्जति त्ति ॥ ३२२॥ सूरस्स महत्तगती दिवसस्सऽद्धेण होति अब्भत्था । तैत्तियमेत्ते दीसति तहिं तहिं मंडले सूरो ॥३२३॥ इच्छितस्स मंडलपरिरयस्स सट्ठीय भागे हिते जं लद्धं सा मुहुत्तगती तहिं तहिं मंडले, एसा महत्तगती दिवस’ण गुणिता इहगतस्स पुरिसस्स तावतिगातो सूरो चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति त्ति। जहा-अभितरस्स मंडलस्स परिरयो तिण्णि जोयणसयसहस्साणि पण्णरस य सहस्साणि एगूणणवुताणि ३१५०८९ एतस्स रासिणो सट्ठीय ६० भागे हिते लद्धा बावण्णसता एकावण्णा एगूणतीसं च सट्ठिभागा ५२५१२९, एसा अभितरमंडले रविणो मुहुत्तगती। सव्वभंतरगते च सूरे अट्ठारसमुहुत्तो दिवसो, दिवसस्स अद्धेण णवहिं मुहुत्तेहिं मुहुत्तगती १.श्यं गाथा पु० मु०म०वि० नास्ति || २. तत्तियमेत्ते दिवसेहिं दीसते मंडले सू० जे०ख०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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