Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 116
________________ जोइसकरंडगं पढम विसुवं कस्स पव्वस्स का तिधीयं होति १ त्ति पढमं ति रूवं १ थावितं, तं रूवूणं जातमागासं ०, आगासेण छलसीतं सयं गुणितं १८६ जातं आगासं ०, एत्थाऽऽकासे तेणवुती पक्खित्ता, एतीसे पण्णरसहिं १५ भागो, भागलद्धा छ प्पव्वा, ततिया य तिधि त्ति ततियं ति तिण्णि ३ थाविता, गाधत्थेण सव्वं कातव्वं, तिण्णि रूवाणि रूवूणाणि बे २] बेहिं छडसीतं सयं १८६ गुणितं, जाया तिण्णि सया बावत्तरा ३७२, एत्थ तेणउती दिण्णा, जाया चत्तारि सया पण्णट्ठा ४६५, एतेसिं भागो पण्णरसहिं, लद्धा तीसं ३० पव्वा पण्णरसी १५ य तिधि ति ॥ २९९ ॥ अधवा इंगतीसा ओजगुणा पंचहि भजितव्व तिगुण अंसा उ । तिहिओ भवंति सव्वेसु चेव विसुवेसु णातव्वा ॥ ३०॥ एक्कत्तीसा एक्केण गुणिता एत्तिया चेव ३१, पंचहिं भागो, भागलद्धा छ ६ प्पव्वा, सेसो [एको] अंसो, सो तिगुणो, ततिया तिधि त्ति । एक्कत्तीसा ततियं विसुवं ति पंचहिं गुणिता पंचहिं भागो, भागलद्धा तीस पवा, अंसा पंच तिगुणा पंचदसी। एवं सव्वत्थ ॥ ३०० ॥ अधवा पव्वा य छडादिक्का दुवालसाधिक दसावसाणा तु । तिगमादिगा वि य तिधी छडुत्तरा सव्वविसुवेसु ॥ ३०१॥ छआदि बारसबारसउत्तरं दसगच्छन्तं गाधत्थेणं णातव्वं, छ हाविता, एते पडिरासितूण बारस पक्खित्ता जाता अट्ठारस १८, पुणो पडिरासितूण बारस पक्खिता जाया तीसा ३०, एवं जाव दस पडिरासिय पडिपुण्णा ताव कातव्वाणि विसुवेपव्वाणि । तिधि त्ति तिकादिका छडुत्तरा दसगच्छगता। जहा—तिण्णि थाविता, ते पडिरासेतूण छ पक्खित्ता जाता णवमी, ते पडिरासेतूण छ पक्खित्ता जाया पण्णरसी, ते पडिरासेतूण छ पक्खित्ता जाया एकवीसा, एते पण्णरसहिं १. एकत्तीसा ओजगुणा पंचाहिं भजितवा तिगुणा अंसा उ। तिही हवेति त्ति सव्वेसु पम्वेस एत्थ विभजितेण कातच्वं ॥ इतिरूपा विकृतस्वरूपा गाथा जेटि० खंटि०॥ २. छच्च विसुवेसु जेटि० खंटि०॥ ३. व्वाणि वसुपब्वाणि जेटि० खंटि०॥ ४. जाया गवमी, ते जेटि० खंटि० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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