Book Title: Painnay suttai Part 3 Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak Publisher: Mahavir Jain VidyalayPage 77
________________ पाययटिप्पणगसमेयं अहोरत्तस्स सत्तट्ठखंडितस्स एक्कवीसा है, जावंतावभागा खेत्तसीमो । ते तीसाए ३० गुणा छ स्सता तीसा ६३०, एस कालसीमो । एतस्स सत्तभागे ६७ लद्धा णव मुहुत्ता सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागा मु० ९६, एस अभिविस्स चंदस्स जोगो त्ति ॥ १६२ ॥ ३४ सयभित भरणी अद्दोऽसिलेस साती तहेव जेट्ठाओ । एते छ ण्णक्खत्तां अद्धक्खेत्ता मुणेतव्वा ॥ १६३ ॥ अहोरत्तो सत्तट्ठिखंडितो तेत्तीसं जावंतावा दुभागो य ३३३, एते खेत्तजावंतावा अद्धखेत्ताणं, एते [सवण्णता ६७ ] तीसाय गुणा [२०१०] चोत्तीससतच्छिण्णा १३४ पण्णरस १५ मुहुत्ता होंति । एतेसिं एस चंदजोगो ॥ १६३ ॥ तिण्णेव उत्तरौइं पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । ऐते छ ण्णक्खत्ता दिवडूखेत्ता मुणेतव्वा ॥ १६४॥ अद्धखेत्ताणं सीमो तिगुणितो दिवडूखेत्तसीमो भवति जावंतावसतं दुभागो य १००३, एते सवण्णिता [२०१] तीसाय ३० गुणा [६०३०] चोत्तीससयच्छिण्णा १३४ लद्धा पणतालीसं ४५ मुहुत्ता । एते ते पणतालीसं ४५ मुहुत्ता चंदजोगो ॥ १६४ ॥ अवसेसा णक्खत्ता पण्णरस वि होंति तीसइमुहुत्ता | चंदम्म एस जोगो णक्खत्ताणं समक्खातो ॥ १६५॥ जे अवसेसा पण्णरस १५ णक्खत्ता तेसिं सत्तट्ठि ६७ जावंतावसीमाविक्खंभो, तीसगुणा [२०१०] सत्तट्ठीय ६७ [ छिण्णा ] लद्धा तीसतिमुहुत्ता ३० चंदजोगे भवंति ॥ १६५ ॥ १. 'द्दा अस्सा साति तह य जेट्ठायो जे० सू० । 'द्दा अस्लेसा तह य साति-जेट्ठाभो खं० ॥ २. जेट्ठा य पु० मु० वि० ॥ ३ ता पण्णरसमुहुत्तसंजोगा जे० खं० पु० मु० म० सू० ॥ ४. ओ पु° जे० खं० पु० मु० वि० म० ॥ ५. एते छष्णक्खत्ता पणयालमुहुत्त संजोगा पु० मु० म० वि० सू० । पणपाली समुहुत्ता एते छ चैव नक्खत्ता जे० खं० ॥ ६. जोगो समासतो एस वक्खातो जेटि० खंटि० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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