Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 65
________________ पाययटिप्पणगसमेयं [५-६. पंचम-छट्ठाणि पव्वसमत्ति-तिहिसमत्तिपाहुडाणि] कम्मो णिरंसयाए मासो ववहारकारओ लोए। एवं सेसा मासा ववहारे दुक्करा घेत्तुं ॥१०६॥ सूरस्स गैमणकारणविभागणिफाइता अहोरत्ता । चंदस्स हाणि-वडीकतेण णिप्फजते तु तिधी ॥१०७॥ सूरस्स गमणकारणविभागणिप्फाइता बावढि भागा अहोरत्तो, चंदस्स एगर्टि बावट्ठिभागा ६३ तिधी, एवं तिधिणा चंदमंडलसमएकट्ठ(१ ट्ठि) भाग ६१ स[म]यवड्डी ॥१०७॥ चंदस्स णेव हाणी, ण वि वेडी वा, अवहितो चंदो। सुक्किलभावस्स पुणो दीसति वड्डी य हाणी य ॥१०८॥ किण्हं राहुविमाणं हेढा चतुरंगुलं तु चंदस्स । तेणोवडति चंदो, परिवंडी वा वि णायव्वा ॥ १०९॥ तं रयत-कुमुदसरिसप्पभस्स चंदस्स रातिसुभगस्स । लोएँ तिधि त्ति णियतं भेणेति हाणीय वडीय ॥११० ॥ सोलस भाए काऊँण उलुवतिं हायतेऽत्थ पण्णरसं । तेत्तियमेत्ते भागे पुणो वि परिवडते जोण्हे ॥१११॥ 1. 'रको कालो। जे० खं०॥ २. सेसा उ संसया ए वव जे० खं० पु० मु० म०वि०॥ ३. गमणमंडलविभा पु० मु०म०वि०। गमणकाले विभा॰ जे० खं०॥ ४. 'जिप्फत्तिया अहो जे० खं० ॥ ५. वडि अवडिओ सया चंदो जे० खं० ॥ ६. दिस्लति हाणी य वड्डी य जे० खं०॥ ७. °वइ वा वि णायब्बो जे० खं० वि० पु० मु०॥ ८. लोके तिधि निप्फजति भण्गद हा जे० खं०॥ ९. भण्णइ हाणीए वड्डीए पु० मु० म० वि०॥ १०. °ण वडई हायतेऽत्थ पन्नरसा पु० ॥ ११. उडुवति जे० ख० पु० मु० वि० ॥ १२. °वदुई जोण्हे मु० म० । चढ़ई जुन्हा पु० । °वड्डए जोण्हं जे० ख०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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