Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 59
________________ ३२ श्रीहरिभद्रसूरिसूत्रितया वृत्त्या समलङ्कृतं [ सू. ३० स्साणं ? गोयमा ! कम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं, णो अकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं, णो अंतरदीवगगब्भवतियमणुस्साणं । [४] जइ कम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं किं संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं, णो 5 असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं। [५] जइ संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं किं पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं, णो अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भ वकंतियमणुस्साणं। [६] जइ पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं 10 कि सम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं मिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवभूतियमणुस्साणं सम्मामिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं ? गोयमा ! सम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवभूतियमणुस्साणं, णो मिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भव कंतियमणुस्साणं, णो सम्मामिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणु15 स्साणं । [७] जइ सम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं कि संजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं असंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं संजयासंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! संजयसम्मदिद्वि पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं, णो असंजयसम्मबिट्ठिपज्जत्तग20 संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं, णो संजयासंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखे ज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं। [८] जइ संजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं कि पमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं अपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउय कम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं ? गोयमा! अपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासा25 उयकम्मभूमगगम्भवकंतियमणुस्साणं, णो पमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणुस्साणं । [९] जइ अपमत्तसंजयसम्मदिहिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणुस्साणं किं इड्डिपत्तअपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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