Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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तीर्थकर
१९८
नन्दीसूत्रमूल-तद्वत्त्याधन्तर्गतानां विशेषनाम्नामकारादिक्रमः । विशेषनाम किम् ? पत्र पङ्क्ति विशेषनाम किम् ? पत्र-पक्ति विशेषनाम
पत्र-पलिक चीरिक श्रमणभेद १.१-७८ *णरयगइग- दृष्टिवाद- ९०-७ दशा जैनागम ७२-२७ *चुतअचुतसेणिया- दृष्टिवाद- ८५-२१: मणगंडिया प्रविभाग
दशाहंग- दृष्टिवाद- १६७-१२ परिकम्म-चुयमचु- प्रविभाग ८६-१८, *णंदावत्त
८७ -११ ण्डिका प्रविभाग यसे
*णं दिसेण निर्ग्रन्थ-मुनि ४७-१७ *दसकालिय जैनागम १८०-२२ *णाइलकुल निग्रन्थवंश १४-१३ *दसवेयालिय ,
७०-१७ *चुयमच्यावत्त , ८६-२०
णाग देव १४२-१० दसा
११-१६ *चुल्लकप्प+सुत जैनागम ७०-१८१८०-२२ *णागजुणायरिय। निग्रन्थ-स्थविर १३-२९;* ,
" ७२-२०१८०-३० चुलकप्पसुय ७०-२६ णागज्जणरिसि
१४-२,१५ दसारगंडिया दृष्टिवादप्रविभाग १६७-१२ चैत्यवन्दनभाष्य जैनप्रकरण १६८-टि.
नागपरियावणिया जैनागम ७३-१८ * , जमालिनिग्रन्थनिह्नव ९३-४
णाणप्पवाद पूर्व
८९-४ *दिहिवाम-य जैनागम ६२-२५,७४-२५; जम्बू निग्रन्थ-स्थविर ११-३ -*णाडग शास्त्र६४-२१
८५-१३,९२-१६ जम्बूद्वीप द्वीप २८-४,९५-३ *णायाधम्मकहा जैनागम ६२-२४;७४-२४;
१८१-११ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति जैनागम ७२-२८
८०-२६८१-१२ *दिद्विविसभावणा.,
१८१-६ *जसभह निग्रन्थ-स्थविर ११-६ णासिक
५ णासिक नगर ११३-४ *दीवपण्णत्ति ,
१८१-१ जंबुद्दीव द्वीप ३५-२५
४७-१९ *दीवसागरपण्णत्ति,
७२-२१ २५-२३ णिरयावलिया जैनागम -२. दीव+सिह कल्पवृक्षनाम ६६-१६,१९ *जंबुद्दीवपण्णत्ति जैनागम ७२-२०१८०-३१ *णिनीह
७२-२० *दुगुण दृष्टिवाद- ८५-२४, ८६-११, *जंबूणाम निग्रन्थ-स्थविर १०-२६ *णेमि
१०-४
प्रविभाग ७,११ १५,१९ जितशत्रु राजा १८६-३० तन्दुलविचारणा जैनागम १६१-३२ *दुप्परिग्गह
८७-१२
दृष्टिबाद- जिनदासगणि निर्ग्रन्थ महत्तर १६७-टि.१ *तवोकम्मगं-
९०-६ दुगपदव्याख्या नन्दीहरिभ- १६९-३१ जिनभट
द्रीयवृत्तिव्याख्या निर्ग्रन्थ-आचार्य
डिया ९७-७ प्रविभाग
दुसमसुस्समा कालविशेष ४०-२० *तंदुलवेयालिय जैनागम ७०-२०:१८०-२४ जिनभद्रगणि-
६६-२९
दृष्यगणि निग्रन्थ-स्थविर १५-७,२१ क्षमाश्रमण तावस श्रमणभेद ७५-११
*दूसगणि जियसत्त राजा ९१-७ *तिगुण दृष्टिवादप्र-८५-२४८६-१,४,
दूसमा कालविशेष जीतधर निग्रन्थ-स्थविर ११-२५
विभाग ८,१२,१६ २०
दृढपहारिन् निर्ग्रन्थ-मुनि १२३-२२ *जीयधर
११-२०
*नित्थगरगंडिया दृष्टिवादप्रविभाग ९०-४ देववाचक निग्रन्थ-स्थविर, १५.२१; जीर्णपट्टशाटि समयनिरूपको. ५७-९ *तिरियगइग- ,
नन्दिसूत्रकर्ता . १७ २६; कापाटनदृष्टान्त दाहरण
मणगंडिया
तडिक । गोत्र *जीवाभिगम जैनागम ७०-१८१८०-२३
११-८ देवसम्म ब्राह्मण
व्याघ्रापत्य जेसलमेरु नगर १६८ टि.
*देविंदत्थ- जैनागम ७० १९:१८०-२४ तुडियंग कल्पवृक्षनाम ६६-१६,१८
अ-थय जोति+स कल्पवृक्षनाम ६६ -१६,१९ तंगिय
११-६ *देविंदोववाय , ७२-२३:१८१-४ झाताधर्मकथा जैनागम८१-१३,१४,१६५-१५ *तेयनिसग जैनागम १८१-७ देवेन्द्रनरकेन्द्र-जैनप्रकरण १६८-५
ज्ञानप्रवाद पूर्व ३३-टि१ तेरासिय दर्शन ८६-२६,८७-१५ शास्त्र *झाणविभत्ति जैनागम ७०-२१,१८०-२७ त्रैराशिक
८७-२८ देवेन्द्रसूरि निर्ग्रन्थ-आचार्य १६७ टि.१ *ठाण , ६२-२३;७४-२४; प्रथूलभह +सामि निग्रन्थ-स्थविर ११-७;
चैत्यवन्दनभाष्यकर्ता १६८-टि ७९-५७,८,९,१६
___४७-१८:१३८-१८, द्वीपसागरप्रज्ञप्ति जनागम १२-१ १८१-९
२०१४३-१ धणदत्त . श्रेष्ठी १४७-१७ *णमि . तीर्थकर
१०-१ दशवकालिक जनागम ७०-२४ * ,,
गोत्र
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