Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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दशन
१०१ टि२ *पुट्ठापुढे
८९-१० *पुडावत्त ८८-३.९ पुण्डरीक ।
नन्दीसूत्रमूल-तद्वृत्त्याद्यन्तर्गतानां विशेषनाम्नामकारादिक्रमः ।
१९९ विशेषनाम किम् ? पत्र-पक्ति विशेषनाम किम् ? पत्र-पठिक्त बिशेषनाम किम् ? पत्र-पडिक्त धनेश्वरसरि निग्रन्थ- १६९-२९,३०; *नाणपवात पूर्व
८६ २,७ *पाणाउउ पूर्व ८८-३११ आचाय (नन्दि. १७९-८ *नामसहम शास्त्र ६ ४-२० पाणार्ड
८९-१४ सूत्रहरिभद्रीय
*नायाधम्मकहा जनागम १८१-१० पातंक-यंक नाणक १४२-२१,२२.२३ वृत्तिदुर्गपदव्याख्या
निग्गंथ श्रमणमेद ७५-१९ पादलिप्त निग्रन्थ-आचाय १२३ २१ कारश्रीचन्द्रसूरिगुरु) नियतिवादिन् दार्शनिक
७८-६ पारस पारस
देश १३८-३ *धम्म तीर्थकर १०-३ निरयगइग- दृष्टिवाद
पार्श्व तीर्थकर ७४-३ धम्मद १४१-८ मणगडिया प्रविभाग
पालित्तग-य निग्रन्थ-आचाय १३८-९,१० *धरणोववाय जैनागम ७२-२३;१८१-३ *निरयावलिया जनागम ७२-२४,१८१-५
पाशुपति(त) दर्शन १०१-टि.२ धर्मघोष निग्रन्थ-आचार्य १६८-टि. निशीथ
पास तीर्थकर
१०-४ (सदाचारटीकाकर्ता) निसीह
१८०-३१ *
*पुट्ठसेणियाप- दृष्टवाद- ८५-२० ध्यानविभक्ति जैनागम ७१-२८ नेमि तीर्थकर
१०९-४
रिकम्म प्रविभाग ८६-३,५ नन्दि +सूत्र , १४६-११,१६९-३२ नैयायिक
८७-११ नन्दिचूर्णिकृत् निर्ग्रन्थ-महत्तर ५५ टि १,३; पञ्चक्खाण पूर्व
८६-५
गणधर १७८-२७ (जिनदासगणी) १५३-३० * ,
उसमसेना नन्दीवृत्ति टीका जैनागम १६९-२९; पज्जोग राजा १४०-११
पुष्कचूल राजपुत्र, राजा १४१-२ १७८-८ *पडिबोहग- अवग्रहादिनि- ५२-७,१२,२०
पुष्फचूला राजपुत्री, राज्ञी १४१२ नन्दिसूत्रलघुवृत्ति , १६७-टि १ दिढत रूपकोदाहरण
पुष्फचूलिया जैनागम ७२-२५,१८१.५ नन्दिसूत्रवृत्ति
१६७-टि.१ *पण्णवणा जनागाम ७०-१९१८०-२३ *पुप्फदंत तीर्थकर १०-२ नन्दी , १२६-७ पण्णास दृष्टिवादप्रविभाग ८७-१२ पुष्फभह नगर
१४१-२ नन्दीचूर्णिकार निर्ग्रन्थ-महत्तर १-टि २; पण्हावागरण जनागम १६६-१७ पुप्फवती राज्ञी १४१-२ - (जिनदासगणि) ३-टि.३ * ,
६२-२५;७४ २५; पुप्फसेण राजा
१४१-२ नन्दीसूत्रचूणि जैनागम १६७ टि.१
८४-४,६,१३,१८१-११ पुफिया जनागम नन्द्यध्ययन १४६-९ पत्तन
१६८-टि * ..
७२-२५:१८१-५ नन्द्यध्ययनटीका , १६९-१. पन्नत्ति जैनागम(भगवती) ४२-१४;१२५-२२ *पुराण शास्त्र
६४-२१ नन्द्यध्ययनविवरण ,, ९७-४,६ पन्नवणा जैनागम १२-१४:१२५-२२ पुरिमताल नगर
१७८-२७ __ वणिक १४३-४ *पभव निग्रन्थ-स्थविर १०-२७ * ,
१७८ २४ *नंदावत्त दृष्टिवादप्र- ८५-२४,८६-२, *पभास ,-गणधर १०-१२ पुरिया नगरी १४३-१. विभाग ५,८,१२,१६,२० *पमायप्पमाद-य जैनागम - ७. १९; पुष्पचूला
-२७ नंदिसेण राजपुत्र,निर्ग्रन्थ १४१-१२,१४
१८०-२४ पुष्पिता ,
७३-२६ *नंदी
जैनागम ७०-१९; परमगुरु निग्रन्थ-स्थविर- ६१-२५ *पोरिसिमंडल , ७०-२०,१८०-२५ १८०-२४ विशेष सुधर्मगणधर पौण्डरीक द्रह
९५-२ . नाग देवजाति १६६-२०,२१ *परंपर दृष्टिवादप्रविभाग ८७-१० प्रज्ञप्ति
प्रज्ञप्ति जैनागम भगवती) १२५-२४ ८४-६ परिणयापरिणय,
प्रज्ञापना जैनागम ७०-२७,९५-१३; नागदिण्ण राजपुत्र,निम्रन्थ १४२-११ पसेणती राजा १३४-२०
१२५ २४,१२६-४ *नागपरिया- जैनागम ७२-१४; *पाइण्ण
११.७ प्रतिबोधक- अवग्रहादि- ५२-१० वणिया
१८१-४ पाडलिपुत्त नगर १३८-९ १८ दृष्टान्त निरूपकोदाहरण नागार्जुनाचार्य । निग्रन्थ- १३-३१;
१४३-९ प्रथमानुयोग दृष्टिवाद- १०-७;७४-१% नागार्जुनवाचक स्थविर *पाढ दृष्टिवादप्रविभाग ८५-२३,२७,
प्रविभाग १६६-२६ नागेन्द्रकुलवंश निर्ग्रन्थवंश १४-१८
८६-४,७,११,१५,१९
१८६-२४
11पण्णवणा
नगर
नंद
जैनागम
८८
AM
८७-९
गोत्र
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