Book Title: Nandisutram
Author(s): Devvachak, Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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नन्दीसूत्रमूल-तद्वृत्त्याद्यन्तगेतानां व्याख्याताव्याख्यातशब्दामामनुक्रमः ।
२११
शब्द मूलशब्द-अर्थादि . पत्र-पक्ति शब्द मूलशब्द-अर्थादि पत्र-पक्ति शब्द मूलशब्द-अर्थादि पत्र-पङ्क्ति +पमायप्पमाद - जैनागम ७०-१९ +पवन = नट
१३९-टि२ +पोरिसिमंडल
७०-२० +पय = अनुज्ञा
१७९-१ पवाहेहि = प्लावयिष्यति १४५-१८ पौरुषीमण्डल पोरिसीमंडल ७१-१८तः२१ +पयपवर ,, १७९-२ पसिणा।
८४-१५,१७ पौषधोपवास पोसहोववास १६६-३ परम्परसिद्ध- परंपरसिद्ध- ३८-१९,२० पसिणापसिणा
प्रकृति पयइ १६७-३ केवलज्ञान केवलणाण
+पाढ = दृष्टिवादप्रविभाग ८५ २३,२७, प्रच्छना पुच्छणा १७२-१९ +परंपर = दृष्टिवादप्रविभाग ८७-१०
८६-४,७,११,१५.१९ प्रज्ञप्त पण्णत्त १८-१०,११,१२ परावर्तना परियणा १७२-१९ +पातक-यंक= नाणक १४२-२१त २३ प्रज्ञा पण्णा ५८-१९,२०;१५२-१०
११६-९ परिकड्ढ पादपोपगम पाओवगम १६५-२२
पण्णवणा प्रज्ञापना
७०-२७ पारगमन परिकर्म
प्रज्ञापित
पारायण परिकम्म
पण्णविय ९६-२२
१७४-१६ ८६-२२ पारिणामिकी पारिणामिया ४८-२९तः प्रज्ञाप्त पण्णत्त
१८-१५ परिपूर्णत् परिघोलेमाण २५-७
प्रज्ञाप्यन्ते परिघोलन [बुद्धि]
पण्णविजंति परिघोलण
६७ -९ बुद्धि ४८-२४ परिजित
प्रणिधान+यो पणिहाण+ *पारिणामिया बुद्धि. परिजित
१६३-२४ १७२-४
४७-१४,१५
*पासओ अंतगय[ आणु- २४-७,८,९ गयुक्त जोगजुत्त +परिणयापरिणय-दृष्टिवादप्रविभाग ८७-९
गामिय ओहिणाण ]
प्रणीत पणीय परिणाम = उत्पातादि, परिणाम १३-१८; +ऽपिअल्लत = प्रिय
१४०-२० प्रतिपत्ति = अभ्युपगम पडिबत्ति ७६-९ १२६-१० पिटक पिडग
, -प्रतिपादन, , १६६-४,५ " -पुष्टता , ४९-२
__ +पितिमीसग = पितृमिश्र र
१३६-२६
, - मतान्तर, १८६-९. परिताप
१००-२७ पुट्ठ स्पृष्ट
१०३-२८
प्रतिपात्यव- पडिवातिओ- २६-६,२९परित्त
= पुष्ट
१०३-२८
विज्ञान हिनाण १७तः२१; परिनिष्ठा परिणि? ९६-२३ वटा = दृष्टिवादप्रविभाग
११५-२४तः२६ परिपर्यन्त परिपेरंत २५-७ ।
प्रतिपूर्ण पडिपुण्ण १७२-१४ +परिपूणग-क= नीडविशेषः १०२-२६;
प्रतिपूर्णघोष पडिपुण्णघोस १७२-१४तः१६ १०५-२७,१८२-३२ । +पुय + जुज्झ = पुतयुद्ध,नितम्बयुद्ध १८३-१
प्रतिपृच्छति पडिपुच्छइ ९६-११,२१; परिभोग-परित्याग . १६६-१०,११ *पुरतोअंतगय [आणु- २३-२६तः२८
१६९-२५ गामिय ओहिणाण] परिमन्थ
१०३-२५ पुरतोऽन्तगत [आनुगामि २३-२९तः
प्रतिमा = श्रावकप्रतिमा, पडिमा १६६-५ परोक्ष परोक्ख २०-११तः१४
प्रतिषेधाश्रय कावधिज्ञान
१०१-२६
२४-३ परोक्षज्ञान ११३-२५तः२९
प्रतिष्ठा पतिट्ठा ५१-२५२६ पुव्वगत
८८-२१तः२४ पजत्र १८-३२,११२-६
प्रतीच्छक १०२-१३:१०८-११ पुष्पचूला पुप्फचूला पर्यव-समन्ताद् गमन ,, ११२-१४
पञ्चक्ख पुष्पिता
प्रत्यक्ष
२०-८तः११ पुफिया ७३-२५,२६ ,, = धर्म , १६४-१० +पूय - पूपिक,कान्दविक १३९-१४,१५
प्रत्यक्षशान
११३-२०त.२४ , = . पल्लव १६५-१० पूजित
प्रत्यावर्तनता पञ्चावट्टणया ५१-११ १२
पूइय पर्यव+परिमाण पल्लव+ऽग १६५-९ पूरित पूरित ५४-७,८९
प्रत्येकबुद्धसिद्ध पत्तेयबुद्धसिद्ध ३९-७,८; पर्याप्तक पजत्तग ३४-९,१० पूरिम
पूरिम १७१-१
१२४-६ पर्याप्ति पज्जत्ति ३३-२९,३४-१ पूर्व - कारण, पुव ४५-६,१२८-२८ २९ । प्रथमसमयस- पढमसमयस- ३८-५,६ पर्याय पज्जा १९-२,७७-५; पृथक्त्व पुहत २७-३१,२९-२० योगिभवस्थ- जोगिभवत्थ
१०२-२,११२ ९ पेयाल - प्रमाण, सार १२-१;४८-१५; केवलज्ञान केवलणाण पर्यायाक्षर पज्जवक्खर ६८-३
१८२-२४ प्रदेश निर्विभागभाग, पदेस ६८-१ पलव = अवयव, पल्लव १६५-१०', पोत्थ
१७०-२८,२९ ,, = अंशकल्पन, पएस पल्लवान पल्लवग्ग १६५-१० पोत्थकम्म
१७०-२८तः३०
पभावग १२-८,९
* + पृट्टावत्त- "
पर्यय
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