Book Title: Mulshuddhiprakarana
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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सम्प्रतिनृपाख्यानकम्
१०९ अवि य
भंभ-भेरि-भाणयसद्दाउलु, जयजयसद्दविहियकोलाहलु । काहल-संख-करडसदुब्भड, पवणोद्धयउदंडसुधयवडु ॥१२२ मद्दल-तिलिम-पडहकयपटुरवु, भवियह विणिहयघोरमहाभवु । वेणु-वीण-सौरंगियतारउ, रयणविणिम्मियरूवयसारउ ॥१२३ कंसालय-कंसियसढुक्कडु, जणसम्मदसेरकयसंकडु । झल्लरिरावभरियगयणंगणु, नच्चिरसिंगारियविविहंगणु ॥१२४ महुरगेजविम्हावियनरगणु, कुसुमोमालिउ नं नंदणवणु । उल्लसंतरासयसयसंकुल, मुहलविलयगेज्जंतसुमंगलु ॥१२५ घरि घरि कीरमाणआरत्तिउ, कमिण पडिच्छमाणजणभत्तिउ । इय अणेयअइसइगुणजुत्तउ, संपइरायह गेहि पहुत्तउ ॥१२६ तो नरनाहु चित्ति विहसेविणु, निग्गउ अग्घु महग्घु लएविणु ।
पूयवि रहु रोमंचियगत्तउ, अणुगच्छइ सामंतिहिँ जुत्तउ ॥ १२७ तओ तमच्चन्भुयभूयं रहमहिमं निएऊण भणिया सव्वे वि सामंता ‘जइ मं मण्णह तो तुब्भे वि सरज्जेसु एवं करेह' । तेहिं पि तहेव कयं । अत्राऽर्थे निशीथगाथा:
जइ मं जाणह सामि समणाणं पणमहा सुविहियाणं । दव्वेण मे न कजं एवं खु पियं कयं मज्झ ॥ १६९ ॥ वीसज्जिया य तेणं गमणं घोसावणं सरजेसु ।
साहूण सुहविहारा जाया पञ्चंतिया देसा ॥ १७० ॥ घोसावणं = अमाघातायुद्धोषणारूपाम् ।
अणुजाणे अणुजाई पुप्फारुहणाइँ उकिरणगाई ।
पूयं च चेइयाणं ते वि सरजेसु कारंति ॥ १७१ ॥ अनुयानं रथयात्रा । तत्राऽनुयाति स राजा समस्तसामन्तादिपरिवृतः। पुष्पारोहणान्युत्किरणगानि रथपुरतः पुष्पवृष्टयादिरूपाणि । चैत्यपूजां च राजा करोति । तच्च दृष्ट्वा तेऽपि स्वराज्येषु सर्व कुर्वन्ति ।
अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि ठियं संपइराइणो चित्ते जहा 'पंइटेमि अणारियदेसेसु साहूण विहारं'। ति चिंतेऊण भणिया अणारिया 'जहा जहा मम पुरिसा तुब्भे करं मग्गंति तहा तहा देजह' । तओ पेसिया साहुरूवधारिणो पुरिसा। भणंति य ते जहा 'अम्हं एवं एवं बायालीसदोसविसुद्धवसहि-भत्त-पाण-वत्थपत्ताइयं देजइ, इमं इमं च अण्णं पढणाइयं कज्जइ, तओ राइणो पियं भवई'। अणारिया वि राइणो तोसणत्थं तहेव सव्वं करेंति । एवं च साहुसामायौरीभाविएसु अणारियखित्तेसु विण्णत्ता सूरिणो जहा 'भयवं ! किमणारिएसु न विहरंति साहुणो ?' । गुरूहिं भणियं 'जओ नाणाई नोबसप्पंति' । रैण्णा भणियं 'किं कारणं नोवसप्पंति ?' । सूरीहिं भणियं 'न याणंति ते सामायारिं'। रण्णा जंपियं 'जइ एवं तो पेसह साहुणो, पेच्छह सरूवं' । तओ रण्णो उवरोहेण पेसिया सूरीहिं अणारिएसु कइवि संघाडगा । तओ ते दट्टण 'रायसंतिया एए
1A B °पडरख। 2 0 0 °यह वि। 3A B °सारंगय। 40D गेयवि। 5A B °मालिय नं । 60 D उल्ललंत° 7A B यानं रथयानं रथयात्रा। 80 D या य क°। 900 पयटेमि । 10 C D एवं बायालदोस। 11 AB इमं च अ°। 120D°यारीए भावि। 130 D रत्ना य भ°। 14 0 DOण 'एण्णो सं।
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