Book Title: Mulpayadisatta Author(s): Virshekharvijay Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti View full book textPage 9
________________ ८ ] प्रकाशकीय निवेदन परिमाणम् (१) 'द्रव्यपरिमाणम् (२)' 'क्षेत्रस्पर्शनाप्रकरणम्' 'भवस्थितिः (१) 'भवस्थितिः (२) 'प्ररकणानि' आदि का भी मुद्रण हम आपके कर कमलों में प्रस्तुत कर रहे है। इससे पूर्व भी हमारी संस्था द्वारा 'प्राचीनाः चत्वारः कर्मग्रन्था 'सप्ततिका नामनो छट्टो कर्मग्रन्थ' '१ थी ५ कर्मग्रन्य' आदि छोटे बडे ग्रन्थ भी प्रकाशित हुए है। आज तक इस समिति द्वारा प्रकाशित किय गये समस्त ग्रन्थरत्नों की आधार शिला दिवंगत परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वर महाराज साहब हैं, जिनकी सतत सत्प्रेरणा, मार्गदर्शन, प्रस्तुत साहित्य का उद्धार करने की अदम्य उत्कंठा और कालोचित अथक परिश्रम से ही प्रस्तुत ग्रन्थरत्नों का जन्म हुआ हैं तथा इन्हीं महापुरुष के शुभाशीर्वाद से हम ग्रन्थरत्नों के प्रकाशन के महत्कार्य में उत्तरोत्तर साफल्य की ओर पदार्पण कर रहे हैं । इन्हीं महात्मा ने हमारी संस्था को कर्मसाहित्य के इन ग्रन्थरत्नों के प्रकाशन का लाभ देकर अनुगृहीत किया । अतः हम इनके ऋणी है और इस ऋण से कमी भी उऋण नहीं हो सकते । अतः ऐसे परमोपकारी महाविभूति आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजयप्रेमसूरीश्वर महाराज साहब का हम नतमस्तक कोटि-कोटि वन्दन करते हुए, इनके प्रति अवयं आभार प्रदर्शित कर रहे हैं ।Page Navigation
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