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- ३८.१३.५
रमारामरम्मं
लयापत्तणीलं
मराला लिरोलं
जलुल्लोलमाल गद्दीरं रवाल पहारिद्धिरूढं
हे धावमा घरंचणितं
जसे
गयासाम
सिहाली चलत
महाकवि पुष्पदन्त विरचित
घडणं च जुम्मं । बिद्धारणालं । सरं सारसाल 1 महामच्छवालं । समुदं विसालं ।
पहुणा विहसिवि गुणगण बंत हि होही तुह सु जियवम्मीसरु युवा कुंजरवेसें पिंजरामाणि गभि परिधि जिणु जगमंगलु
पी
सुराणं विमानं । सत्यं पवितं ।
घरं पण्णयाणं ।
समूहं ।
जलतं ।
हुया
धत्ता -- सिक्षिणपंति मनोहरिय जोइवि सीलविसुद्ध ॥ सुविण राहु पजरिय सुतविद्ध मुद्धः ||१२||
१३
सिविलु विष्णासिष्ठ कंतहि । तिहुयणगुरु तिणाणजोईसह । आपण बुयणचंदेहु | शांत पडणं दिणयरु घणि । घिरि सुरसंथुइकलयलु ।
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ܪ
५
समूहसे युक्त जोड़ा, लतापत्रोंसे हरा, खिले हुए कमलोंसे युक्त, सारसोंका घर सरोवर, उछलती हुई, जलतरंगों से सहित महामत्स्योंका पालक शब्दमय विमल शरीर समुद्र, प्रभाके वैभवसे भरपूर सिंहासनपीठ, आकाशमें दोड़ता हुआ देवताओंका विमान, धरती के बिलसे निकलता हुआ पवित्र प्रशस्त तथा यशसे उन्नत नागों का समूह, दिशाओं में फैली हुई किरणोंदाला मणिसमूह, तथा ज्वालाओं में जलती हुई आग ।
घत्ता - इस प्रकार स्वप्नावली देखकर शीलसे विशुद्ध सुन्दर मुग्धा विजयादेवो सबेरे सोकर उठी । उसने राजासे कहा | ॥१२॥
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राजाने हंसकर गुणगण से युक्त कान्ताको स्वप्नोंका फल बताया- "तुम्हारा कामदेवको जोनेवाला त्रिभुवनका गुरु तीन ज्ञानोंका धारक योगीश्वर पुत्र होगा ।" बुधजनोंके चन्द्र उस वाहन अमेन्द्रकी आयु पूर्ण हो गयी । वह शीघ्र गजरूपमें रानीके मुखमें इस प्रकार प्रवेश कर गया मानो सूर्यने बादलोंमें प्रवेश किया हो । विश्वका कल्याण करनेवाले जिन गर्भमें लाये
२. A P विबुद्धां । ३. P तं । ४ A सिहालोपलितं; P सिहालीवलस, but I सिहालो चलंतं । ५.
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१३. १. A Padd after this : जेठठु मास पक्ति अचंदणि ( P पक्खियचंदिणि), मासदिणि ससरि पियरोहिणि २.AP वि