Book Title: Mahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Author(s): Vasudevsharan Agarwal
Publisher: Vasudevsharan Agarwal

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम्बष्ठ अम्भोहरू (अनु० १६५।५३)। इनकी आध्यात्मिक स्वराज्य-गाथा वहाँ मरनेवालेको नारदजीकी कृपासे परम उत्तम लोक ( आश्व० ३१ । ७-१२)। (२) एक नाग, जो प्राप्त होते हैं (वन० ८३ । ८१)। बलरामजीके रसातल-प्रवेशके समय स्वागतार्थ आया था अम्बालिका काशिराजकी पुत्री, विचित्रवीर्यकी द्वितीय (मौसल. ४ । १६)। पत्नी ( आदि. ९५ । ५१ )। इनकी माताका नाम अम्बष्ठ-(१) एक प्राचीन देश, जिसे नकुलने जीता था कौसल्या' था । इनके गर्भसे व्यासद्वारा पाण्डुकी (सभा० ३२। ७ ) । (सिन्धदेशके उत्तरका एक उत्पत्ति (आदि. १०५ । २१)। व्यासके भयंकररूपसे प्रजातन्त्र राज्य । यूनानी लेखकोंने उसे 'अम्बस्तई' वा घबराकर पाण्डुवर्णकी-सी हो जानेके कारण इनके गर्भसे 'अम्बस्तनोई' लिखा है--हिंदी महाभारत परिशिष्ट पाण्डुवर्णके ही पुत्रका जन्म होना ( आदि० १०५ । पृष्ठ ७ ) । ( २ ) कौरवपक्षका एक राजा, जो १८)। पाण्डुके निधनपर इनकी मूर्छा ( आदि. अम्बष्ठ देशका अधिपति एवं 'श्रुतायु' नामसे प्रसिद्ध १२६ । २४ )। था, अभिमन्युद्वारा पराजित हुआ था (भीष्म० ९६ । अम्बिका-(१) काशिराजकी पुत्री, विचित्रवीर्यकी पत्नी ३९-४०)। अर्जुनके साथ युद्ध और उनके द्वारा उसका और धृतराष्ट्रकी माता । अम्बिकाकी माताका नाम वध (द्रोण. ९३ । ६०-६९)। (३) पाण्डवपक्षका कौसल्या' (आदि. ९५। ५१)। विचित्रवीर्य के साथ एक योद्धा, जो अम्बष्ठजातिका था । इसने कौरवपक्षीय अम्बिका अम्बालिकाका पाणिग्रहण ( आदि० १०२ । चेदिराजके साथ युद्ध करके उसे धराशायी किया था ६५)। वंशरक्षाके हेतु इन दोनों बहिनोंको व्यासद्वारा (द्रोण. २५ । ४९-५०)। पुत्रोत्पादनके लिये सत्यवतीका आदेश (आदि०१०४ । अम्बा-काशिराजकी ज्येष्ठ पुत्री (आदि० १०२ । ६०)। ५१ से १०५। १५ तक)। व्यासजीके द्वारा इनके गर्भसे भीष्मद्वारा विचित्रवीर्यके लिये इसका अपहरण (आदि. धृतराष्ट्रका जन्म (आदि० १०५। १३)। व्यासजीके १०२। ५७ तथा सभा० ४१ । २३)। शाल्वके प्रति भयानक रूपसे भयभीत होकर आँखें बंद करनेके कारण अपनी अनुरक्ति दिखाकर उनके साथ अपने विवाहके लिये इनके पुत्रका जन्मान्ध होना (आदि० १०५ । १०)। इसकी भीष्मसे प्रार्थना (आदि० १०२। ६१-६२)। सत्यवतीद्वारा इनको पुनः व्यासके साथ समागमके लिये भीष्मद्वारा इसको शाल्वके समीप जानेकी अनुमति दी आज्ञा और इनका अस्वीकार (आदि० १०५ । २३)। गयी (आदि० १०२ । ६४)। अम्बाका शाल्वके प्रति इनके द्वारा अपनी दासीको छलपूर्वक व्यासजीके पास अनुराग दिखाकर उनके पास जानेके लिये भीष्मसे आज्ञा भेजना और उस दासीके गर्भसे विदुरका जन्म (आदि० माँगना ( उद्योग. १७४ । ५-१०)। शाल्वराजसे १०५ । २८)। पाण्डुका दोनों माताओंको अपने बाहबलअपनी धर्मपत्नी बनानेके लिये उसका अनुरोध (उद्योग से जीते हुए धनकी भेंट अर्पण करना ( आदि० ११३ । १७५ । ११-१८)। शाल्वसे परित्यक्त होनेपर भीष्मसे .)। सत्यवतीके साथ इन दोनों बहिनोंका तपोवनमें बदला लेनेका विचार (उद्योग० १७५। २६-३५)। जाकर प्राणविसर्जन (आदि० १२७ । १३)। (२) एक शेखावत्य मुनिके आश्रममें जाकर उनसे अपना दुःख अप्सरा, जो अर्जुनके जन्म के अवसरपर नृत्य करने आयी थी (आदि. १२२ । ६२)।(३) एक देवी, स्कन्दमाता सुनाना ( उद्योग० १७५ । ३८-४४ )। तापसोंके समझानेपर भी तपस्या करनेका ही अपना निश्चय बतलाना पार्वती, इनके नामस्मरणसे पापका नाश होता है (अनु० ( उद्योग. १७६ । १२-१४)। परशुरामजीसे भीष्मको १५. । २८-२९)। मार डालनेका अनुरोध करना ( उद्योग. १७७ । ३५- अम्बुमती-एक नदी एवं उत्तम तीर्थ (वन०८३ । ५६ )। ४२, १७८ । ५-७)। भीष्मके वधके लिये अम्बाकी अम्बवाहिनी-एक नदी, जिसका जल तटवर्ती मनुष्य कठोर तपस्या ( उद्योग० १८६ । १९-२९)। गङ्गाद्वारा पीते हैं ( भीष्म० ९।२७) । यह प्रातः-सायं स्मरण नदी होनेके शापसे वत्स देशमें नदी होना ( उद्योग करने योग्य नदी है ( अनु० १६५ । २०)। १८६ । ३१-५०)। दूसरे जन्ममें तपस्या करके महादेवजी- अम्बुवीच-मगधनरेशोंमेंसे एक । इनके मन्त्रीका नाम से उसकी वर-प्राप्ति (उद्योग. १८७।१-१५)। महाकर्णि' था (आदि० २०३ । १७-१९)। चिताकी आगमें प्रवेश ( उद्योग० १८७ । १९)। अम्बोपाख्यान-उद्योगपर्वका अन्तिम अवान्तर पर्व, जो द्रुपदके यहाँ कन्यारूपमें जन्म और शिखण्डी' नाम अध्याय १७३ से १९६ तक है। पड़ना (उद्योग० १८८ । ७-१९)। अम्भोरुह-महर्षि विश्वामित्रके पुत्रों से एक ( अनु० अम्बाजन्म-एक तीर्थ, जिसका सम्बन्ध नारदजीसे है । ५९)। For Private And Personal Use Only

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