Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Chandrita Pandey
Publisher: Ilahabad University
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है। सूत्रों का सूत्रोक्त पदों का सार्थक्य अन्वाख्यान कोटि में आता है। इसी । प्रकार से 'प्रत्याख्यान' सब्द भी भाष्य में यत्र-तत्र प्रयुक्त हुआ है । यथा - "इह हि कि िवद क्रियमाणं चोयते कि िचच्च ब्रियमाणं प्रत्याख्याते । । “यथेष प्रत्याख्यासमयः इदमपि तत्र प्रत्याख्यायते । 2 प्रतिकूल आध्यान-प्रत्याख्यान है। इस व्युत्पत्ति के द्वारा प्रत्याख्यान शब्द सूत्रों का सूत्रांशों का अन्याधोंपादन करता है। ये अख्यान की तीन विधियाँ व्याख्यान, अन्वाख्यान, प्रत्याख्यान वार्तिकों में दिखाई देती है । कुछ वार्तिक अपेक्षित सूत्र के देश की पूर्ति की व्यवस्था करती है। यथा - "तस्य भावस्त्वतलो. इस सूत्र पर "सिदं तु यस्य गुणस्य भावात् द्रव्ये शब्द निवेशस्तदभिधाने त्वतलो ऐसा वार्तिक के द्वारा उक्त सूत्र का अर्थ परिष्कृत होता है। इसी प्रकार से व्याख्यात्मक वार्तिकों को देखना चाहिए । कुछ वार्तिक सूत्रार्थ के विषय में दो पक्षों में सन्देह उपस्थित करते हुए लक्ष्य सिद्धि के अनुरूप अनेकों पदों को उपस्थित करती है । यथा - "आमन्त्रितं पूर्वमविद्यमानवत्' इस सूत्र पर "पूर्व प्रति विद्यमानत्वादुत्तरत्रानन्तया प्रसिद्धिः ', "सिद्ध त पूर्वपदस्येति वचनाद इस प्रकार को वार्तिक हैं। कुछ वातिक सूत्रों एवं सूत्रांशों का प्रतिपादन करती हैं । सूत्र के अनुसार आध्यान करती हैं । यथा - इयाप्प्रातिपदिकात्" इस सूत्र पर "इयाप्यातिपदिक ग्रहणमगभादसंज्ञार्थमिति वार्तिकम् । इस प्रकार से अनेकों वार्तिक अन्वास्यान कोटि में आ जाती है। कुछ वार्तिकें सूत्रों एवं सूत्रांशों के अन्यार्थ
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1. महाभाष्य 3/1/12, भाग 2. 2. भाष्य - की0सं0भा0 1, पृष्ठ 22. 3. अष्टाध्यायी 5/1/119. 4. वही, 8/1/12