Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Chandrita Pandey
Publisher: Ilahabad University

View full book text
Previous | Next

Page 206
________________ 188 'ग्रहण वताप्रातिपदिकेन तदन्त विधिनास्ति'। इस परिभाषा से तदन्त विधि का निषेध होने से 'ठक्' असिद्ध अप्राप्त। हो जाएगा। एतावता 'ठक्' विधान के लिए उक्त वार्तिक का पाठ किया गया है । ' यद्यपि 'येन विधिस्तदन्तस्य' इस सूत्र में तदन्त विधि विधायक वार्तिक 'धमान्ननः ' का पाठ है तथापि उस की अनपेक्षा करके इप्स वार्तिक का प्रणयन किया गया है । नाभि नभञ्च 'उगवादिभ्यो यत्' सूत्र में 'गवा दि गण' के अन्तरगत् 'गण' सूत्र के रूप में यह 'गण' सूत्र के रूप में यह 'गण' सूत्र पठित है । इसका अर्थ है - 'नाभि' शब्द 'प्रकृतिकचतुर्थ्यन्त सुबन्त' से 'हित' अर्थ में 'यत्' प्रत्यय होवे तथा 'नाभि' शब्द को 'न' आदेश होवे । अतः 'नामपे हितं नभ्यः अEl: नभ्यं 35जन' इत्यादि उदाहरण सम्पन्न हुए । रथ की 'नाभि' में ही यह वचन प्रवृत्त होता है क्योंकि 'शरीरावयवाद्यत्' यह सूत्र धारीरावयव भूत नाभि' में बाधक हो जाता है । उस सूत्र से 'नाभ्यमजनं नाभ्यं तेलम्' । ----- ------------ ---------- ।. तदन्तविधेः 'ग्रहणवताप्रातिपदिकेन ' निषेधादचनम् । येन विधिः इत्यत्र - 'धर्मान्त,' इति वार्तिकमनपेोत युक्तम् ।प्रदीप 4/4/41. 2. लघु सिद्धान्त कौमुदी, तदित प्रत्यय प्रकरणम् , पृष्ठ 959.

Loading...

Page Navigation
1 ... 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232