Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Chandrita Pandey
Publisher: Ilahabad University
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'महद् अरण्यम्' इस अर्थ में अरण्यानी ऐसा प्रयोग है । 'महदहिमं' इस वाक्य में हिम में महत्त्वयोग होने पर भी हिम्नाब्द से 'डी' आनुक्' नहीं होता क्यों। इस वाक्य में 'महत्' शब्द के द्वारा ही महत्त्व उक्त होने से 'उक्तानाम्प्रयोग इस न्याय से 'डीप आनुक्' नहीं होते क्योंकि महत्त्व के बोधन के लिए ही 'डी एवं 'आनुक्' का प्रयोग होता है ।
यवाददोष
'इन्द्रव रणभवशस्ट्रिमूडहिमारण्ययवयवनमानाचार्याणामातुक्'2 सूत्र के भाष्य में यह वार्तिक भी पठित है । यह शब्द से 'दोष गम्यमान' रहने पर स्त्री लिङ्ग में 'डी' एवं 'अानुरु' होता है। यह वार्तिक भी 'इन्द्रवरूगभवलस्ट्रगुड हिमारण्ययवयवनमा तुलाचायणामातुक् ' सूत्र की ही विषयव्यवस्था का निर्देश करता है । इसका उदाहरण है - 'दुष्टो यवो भवानी' ।
यवना ल्लिप्यायाम
यह वार्तिक 'इन्द्रव स्णभवशर्व स्ट्राइहिमारण्ययवयवनमालाचार्याणामातुक् सूत्र भाष्य में ही पठित है । 'यवन' शब्द से लिपिरूप अर्थ में 'डी' होता है।
1. लघु सिद्धान्त कौमुदी, स्त्री प्रत्यय प्रकरणम् , पृष्ठ 1037. 2. अष्टाध्यायी, 4/1/49. 3. लघु सिद्धान्त को मुदी, स्त्री प्रत्यय प्रकरणम , पृष्ठ 1037.. 4. अष्टाध्यायी, 4/1/49.