Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Chandrita Pandey
Publisher: Ilahabad University
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अभाव पक्ष में उपपद समाप्त का स्वरूप निणीत किया है।
अब इस के तीनों अंशों के उदाहरण क्रममाः दिखाये गये हैं जिसमें गति अंश में प्रथम उदाहरण 'व्याधी है। जिसका विग्रह 'विशेषेण अासमन्ता जिघ्रति या सा', यहाँ पर 'आड.' पूर्वक 'ब्रा' धातु से 'क' प्रत्यय होकर 'आड.' इसके उपपद का 'ब्रा' शब्द के साथ समास हुआ फिर 'गतिसंज्ञक' 'वि' शब्द का 'आध्र' शब्द से 'कुगति प्रादयः ' सूत्र से समाप्त होकर जातिलक्षण 'डी' प्रत्यय के द्वारा 'व्याघ्री' शब्द निष्पन्न हुआ। कारक अंभ में 'अप्रवक्रीती' यह उदाहरण प्रदर्शित हुआ । अब उपपद अंश में तृतीय उदाहरण 'कच्छपी' दिया गया है जिसका लौकिक विग्रह 'कच्छेपिवति या सा' तथा अलौकिक विग्रह 'कच्छ डि. प्' है । इसमें 'सदम्यन्त कच्छ' शब्द उपपद रखाकर 'पा पाने' धातु से 'सुपिस्थ सूत्र से 'क्' प्रत्यय हुआ है । 'स्त्रीत्व' विवक्षा में 'जाति लक्ष्ाण डीप' प्रत्यय होकर 'कच्छपी' शब्द निष्पन्न हुआ। इस प्रकार इस 'परिभाषात्मक' बचन का विश्लेषण महाभाध्य, प्रदीप उद्योत, तत्त्वबोधिनी इत्यादि ग्रन्थों में विस्तृत में किया गया है।
संख्यापूर्व रात्रं क्लीबम्
'अपथं नपुंसकम् 2, 'संख्या पूर्व रात्र सीबम्- ये दोनों 'लिदंगानुशासन मूल क' वार्तिक हैं । ये तो भाष्य में कहीं भी नहीं दिखायी देते हैं। तत्त्व
1. लघु सिद्धान्त कौमुदी, तत्पुरुष समास प्रकरणम्, पृष्ठ 757. 2. लिड्गानुशाप्सन सूत्र । नपुंसकधिकारप्रकरण, अष्टाध्यायी 224/30. : सूत्र 3/5/32, वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी, पृष्ठ 820.