Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Chandrita Pandey
Publisher: Ilahabad University
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इस पर कैयट आदि टीकाकार लिखते हैं कि यहाँ 'भाष्य' पद से 'सार्वधातुके यकू' सूत्र के महाभाष्य की ओर संकेत है परन्तु हमारा विचार है कि पत जलि का संकेत किसी प्राचीन भाष्य-ग्रन्थ की ओर है । इसमें निम्न प्रमाण है
1.
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महाभाष्य के 'उक्तो भावभेदो भाष्ये' वाक्य की तुलना 'मंग्रहे एतत् प्रधान्येन परीक्षितिम्' 'संग्रहे तावत् कार्यपतिद्वन्द्विभावान्मन्यामहे' इत्यादि महाभाष्यस्थ वचनों से ही की जाए; तो स्पष्ट प्रतीत होता है कि उक्त वाक्य में संग्रह के कोई प्राचीन भाष्य' ग्रन्थ अभिप्रेत है । अन्यथा पत जलि अपनी शैली के अनुसार 'उक्तो भावभेदो भाष्ये' न लिखकर 'उक्तम्' शब्द से संकेत करता है ।
समान
2.
पत जलि - रचित महाभाष्य में दो स्थलों पर लिखा है
'उक्तो भावभेदो भाष्ये । '
भर्तृहरि वाक्य पदीय 2 / 42 की स्वोपज्ञव्याख्या में भाष्य के नाम से एक पाठ उदधृत करता है स चायं वाक्यपदयोराधिक्यभेदो भाष्य एवोपव्याख्यातः ।
हेतुरारत्यायते । यह पाठ
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3.
अतश्च तत्र भवान् आह . 'यथैकपदगतप्रतिपदिके
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पात जलि महाभाष्य में उपलब्ध नहीं होता ।
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भर्तृहरि महाभाष्यदीपिका में दो स्थलों पर वार्त्तिकों के लिए 'भाष्यसूत्र'
पद का प्रयोग करता है । पाणिनीय सूत्रों के लिए 'वृत्तिसूत्र' पद का प्रयोग अनेक ग्रन्थों में उपलब्ध होता है । भाष्य सूत्र और वृत्ति सूत्र पदों की पारस्परिक तुलना
1. 3/3/19, 3/4/67.