Book Title: Karma Vipak
Author(s): Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Nirgrantha Granthamala

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Page 16
________________ वजर्षभनाराचशरीरसंहनननाम वजनाराचशरीरसंहनननाम नाराचशरीरसंहनननाम अर्द्धनाराचशरीरसंहनननाम कीलकशरीरसंहनननाम असंप्राप्तासृपाटिकाशरीरसंहनननाम षट्प्रकारमिति शरीरसंहनननाम। कर्कशनाम मृदुनाम गुरूनाम लघुनाम स्निग्ध नाम रूक्षनाम शीतनाम उष्णनाम अष्टविध- मिति स्पर्शनाम तिक्तनाम कटुकनाम कषायनाम आम्लनाम मघुरनाम पंचधेति रसनाम कृष्ण, नील, रुधिर, पीत, शुक्ल पंचघेतिवर्णनाम। सुगंध | दुर्गध द्विधा गंधनाम । नरकगति-प्रायोग्यानुपूर्व्यनाम तिर्यग्गतिप्रायोग्यानुपूर्व्यनाम मनुष्यगति- प्रायोग्यानुपूर्व्यनाम। देवगतिप्रायोग्यानुपूर्व्यनाम चतुर्धेति-प्रायोग्यानुपूर्वनाम। अगुरूलघुनाम। उपघातनाम। परघातनाम। आतपनाम। उद्योतनाम। उच्छवासनाम। प्रशस्तविहायोगतिनाम। अप्रशस्तविहायोगतिनाम। प्रत्येकशरीरनामा साधारण शरीरनाम। त्रसनाम। संहनन नामकर्म छह प्रकार का है - वज्रर्षभनाराच संहनन नामकर्म वजनाराचसंहनन नामकर्म, नाराच संहनननामकर्म, अर्धनाराचसंहनन नामकर्म, असंप्राप्तासृपाटिका संहनननामकर्म । स्पर्शनामकर्म के आठ भेद है -- कठोर, मृदु, गुरु, लघु, रूक्ष, स्निग्ध, शीत और उष्ण। रसनामकर्म के पांच भेद है – तिक्त, कटुक, कषायला, आम्ल और मधुर रस। गधं नामकर्म दो प्रकार का है- सुगंध एवं दुर्गध । वर्ण नामकर्म पांच प्रकार का है- कृष्ण, नील, रक्त, पीत और शुक्ल। आनुपूर्वी नामकर्म चार प्रकार का है - नरकगत्यानुपूर्वी, तिर्यंचगत्यानुपूर्वी, मनुष्यगत्यानुपूर्वी और देवगत्यानुपूर्वी। अगुरूलघु, उपघात, परघात, उच्छवास, आतप, उद्योत, प्रशस्त विहायोगति, अप्रशस्त विहायोगति,प्रत्येक शरीर नामकर्म, साधारण शरीर नामकर्म,त्रसनामकर्म । (9) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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