Book Title: Kamghat Kathanakam
Author(s): Gangadhar Mishr
Publisher: Nagari Sahitya Sangh

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ श्री कामघट कथानकम यतःक्योंकि राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः, पापे पापाः समे समाः । राजानमनुवर्तन्ते, यथा राजा तथा प्रजाः ॥६६॥ राजा के धर्मात्मा होने से धर्मात्मा, पापी होने से पापी और समान होने से समान लोग (प्रजा) हो जाते हैं, अर्थात् राजाके पीछे पीछे प्रजा चलती है, कहावत है कि जैसा राजा वैसी प्रजा ।। ६६ ।। ___अथ कियदिनानि यावर्तन राज्ञा तथाविधधर्मप्रभावो मानितः । तदनु पुनरपि चलचित्तन राजकदा मन्त्रिणं प्रति प्रोक्तम्- हे मन्त्रिन् ! घुणाक्षरन्यायेन सकृत्तव भाग्यं फलितं परं नायं धर्मप्रभावः । इदं सर्वमपि पापफलमेव, यदि त्वं धर्मप्रभावं सत्यमेव मन्यसे, तर्हि पुनरपि द्वितीयवारं मम धर्मफलं दर्शय । परं कामघटं चामरयुगलं दण्डं चाऽत्रैव मुक्त्वा , निःसंवलः सभार्यस्त्वं देशान्तरे गत्वा, धनमर्जयित्वा, पुनरपि यदि त्वमत्रागमिष्यसि तदाहं तव सत्यधर्मप्रभाव मस्ये नाऽन्यथा । एवंविधानि राज्ञो वचनान्याकर्ण्य मन्त्री चिन्तयति स्म-पूर्वमेष राजा महानधर्म्यभूत्पुनरपि तथैव जातः, प्रथमन्तु महापरिश्रमेण परीक्षां विधाय धर्मोऽङ्गीकृतः । अथ पुनस्तदवस्थयैव स्थितो हन्त ! यस्य यथा शुभोऽशुभो वा स्वभावोऽस्ति स तेन कदापि नो मुच्यते। उसके बाद कुछ दिनों तक उस राजाने धर्म के प्रभाव को माना, पश्चात् फिर चलचित्त होने के कारण राजाने एक समय मंत्री को बोला-हे मंत्री, घुणाक्षर न्याय से एकबार तुम्हारा भाग्य फला किन्तु यह धर्म का प्रभाव नहीं है। यह सब भी पाप का ही फल है। यदि तुम धर्म के प्रभाव को सत्य हो मानते हो तो एकवार फिर भी धर्म का फल मुझे दिखाओ। लेकिन कामघट को, दोनों चामरों को और दण्ड को यहीं छोड़कर बिना संवल (रास्ते का खर्चा-बर्चा ) के अपनी स्त्री के साथ तुम दूसरे देश में जाकर, धन कमाकर यदि फिर भी यहां आयगा तब मैं तुम्हारा सच्चा धर्म का प्रभाव मानंगा, अन्यथा नहीं। इसतरह राजा की बातें सुनकर मंत्री विचार करने लगा-पहले यह राजा महा पाप-विश्वासी था फिर भी जैसा का तैसा हो गया। पहले तो बहुत परिश्रम से परीक्षा करके इसे किसी तरह धर्म स्वीकार कराया था। अब, फिर उसीतरह हो गया। खेद है, कि, जिसके जैसे अच्छे या बुरे आदत ( स्वभाव ) हो जाते हैं, वह उस स्वभाव को कभी नहीं छोड़ता-आदत से लाचार हो जाता है। For Private And Personal Use Only

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