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भी कामघट कथानकम्
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मुनि दीप विजय तथा मुनि गुलाब विजय, इन दोनों शिष्यों के विशेष आग्रह से मैं ( श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वर ) ने इस सुन्दर “कामघट कथानक” को विस्तार किया ॥ ६ ॥ ।। इति पापधर्मपरीक्षायां पापबुद्धी राजा धर्मबुद्धिश्च मन्त्री तत्सम्बन्धिनीयं कामघटकथा समाप्ता ॥
इसतरह पाप-पुण्य की परीक्षा में पापबुद्धि राजा और धर्मबुद्धि मंत्री के सम्बन्ध में यह कामघट कथानक" समाप्त हुआ।
समाप्त
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सर्वे भवन्तु सर्वे भद्राणि
सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । पश्यन्तु सदाचारं चरन्तु च ॥
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