Book Title: Kamghat Kathanakam
Author(s): Gangadhar Mishr
Publisher: Nagari Sahitya Sangh

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Page 133
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सीता का पति प्रेम । क्या आप आदर्श दाम्पत्य जगत के लिये सर्वश्रेष्ठ उपादेय और दो विभिन्न गुण कम स्वभावादिसम्पन्न आत्माओं का अन्तःकरण से अनुराग राग में रंजित कर पारस्परिक हस्त-मिलन करके आजन्म के लिये मैत्राचार का पालन करनेवाली, दाम्पत्य जीवन में अडिग भाव से दृढ़तापूर्वक कर्तव्य पथ पर बढ़ती हुई दो सौभाग्य-शील-शाली आदर्श आत्माओं के सम्मेलन करना चाहते हैं ? क्या आप शुद्ध और सात्विक दाम्पत्य प्रेम का रसास्वादन और आनन्दानुभव करना चाहते हैं ? आप मानव हृदय की कोमलता, सरसता और कारुण्यपरता की सरिता (नदी) में गोता लगा कर संयोग और वियोग की अट्टालिका पर चढ़ कर सुख और दुःख में “समता" का आनन्दानुभव करना चाहते हैं क्या ? तो आर्य संस्कृति, सभ्यता और वेश भूषा का प्रतीक, भारतीय शिक्षा दीक्षा का निदर्शक, मानव और मानव समाज की शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास पर अग्रसर करने वाला, मानव-जीवन-संग्राम में “दाम्पत्य-जीवन" की सर्व श्रेष्ठता का आदर्श प्रदर्शन करने वाला, नारी संसार में भारतीय-हिन्दू-महिलाओं, ललनाओं द्वारा तहलका मचा देने वाला, कर्तव्य पथ का ज्ञान करा देने वाला, अर्वाचीन कालीन “दाम्पत्य जीवन" की शुष्कता को सरसता में ओत-प्रोत करने का मार्ग प्रदर्शन करने वाला "भारत-गौरव-ग्रन्थमाला" में प्रकाशित होने वाले श्रीयुत इन्द्रचन्द्र नाहटा द्वारा लिखित 'सीता का पति प्रेम" को अवश्य ही अवलोकन ( अध्ययन ) कीजिये। २, चर्च लेन, कलकत्ता। मार्गशीर्ष पूर्णिमा, १० डिसेम्बर, १९५४ । निवेदकनागरी साहित्य संघ । For Private And Personal Use Only

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