Book Title: Jain Stotra Sandohe Part 02
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 15
________________ १४ ११६ १२९ २२ श्री चारूप० ( चारूपमण्डन० ) . १०९ २३ महानन्दलक्ष्मी० ( शर्केश्वर० ) हंसरत्नः ११० २४ सकलसुरासुर० ( ,, छन्दः ) १११ २५ षट्पत्तनपुटभेदन० . जिनभद्रसूरिः ११३ २६ जीरापल्लिपुरो० . सौभाग्यमूर्तिः ११५ २७ श्रीवामेयं० (जीरापल्लि.), सटीकम् लक्ष्मीसागरसूरिः । २८ सुधाशनमाधर उदयधर्मगणिः १२५ २९ भरिहथुणामि ( नवग्रह स्वरूपगर्भितम् ) . . १२६ ३० ॐ ह्रौं अर्ह मथो० ( अटेम?मन्त्रगर्भितम् ) . १२८ ३१ सदा वासना सटीकम् अं० जयकीर्तिसूरिः ३२ शश्वच्छासन ( जीरापल्लि०, गुप्तभेदालङ्कृतम् सिद्धान्तरूचिः १४० ३३ शर्मप्रयच्छ.. शर्मस्तवः ( जीरापल्लि.) १४३ ३४ ग्रभु जीरिकापल्लि. महेन्द्रसूरिः १४४ ३५ श्रीणां पदं० भुवनसुन्दरसूरिः १४९ ३६ श्रियः क्रीडा गेहं , ३७ महाभाग्य ( कुल्पपाकमण्डन ऋषमजिनस्तवनम् ) ,, ३८ श्रीयोऽभिवृद्धि० ( जीरापल्ली० ) , ३९ महाप्रातिहार्य० (पावकदुर्गभण्डनसम्भवजिनस्तवनम् ),, ४० श्रीशत्रुञ्जयशैल० ( श्रीऋषभजिनस्तवनम् ) , ४१ विजयते वृषभः ( यमकमयं चतुर्विंशतिजिनस्तवनम् ,, १७१ ४२ ॐ ही श्री मन्त्राक्षरगर्भित ४३ श्रीपार्श्वभावतः ( यमकममं ) जिनप्रभसूरिः १७५ ४४ जिनराज! पत्तनस्थमुनिरत्नचतुरविजयः ४५ आनन्दमन्द० ( जेशलमेरुमण्डन । जिनसभुद्रसूरिः १७७ ४६ कुङकुमरोला० ( जालोर-स्वर्णगिरि० ) . ४७ श्रीपाश्चनवखण्डाख्य० (गन्धारमण्डन० समस्यामयम् ) . ४८ विपुलमङ्गल. ( नवखण्ड० ) आनन्दमाणिक्यः १८३ १५३ १७६ १८० १८१

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