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जैन शास्त्रों को असंगत बातें !
( समतल ) मानी गई है। जम्बूद्वीप (जिसका विस्तृत वर्णन जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति में है ) की लम्बाई एक लक्ष योजन और चौड़ाई एक लक्ष योजन बतलाई है यानी वह ४० कोटि माइल की लम्बाई और ४० कोटि माइल की चौड़ाई का एक समतल भूभाग है जिसके वर्ग मील करें तो १६००००००००००००००००(एक शंख साठ पद्म) माइल होती है। जम्बूद्वीप के इस समतल भू-भाग को चारों तरफ से थाली की तरह गोल माना गया है जिसकी परिधि के लिये लिखा गया है कि वह ३१६२२७ योजन ३ गाऊ १२८ धनुप्य १३३ अङ्गुल १ यव १ लिख ६ बालाग्र ५ व्यवहारिये प्रमाणु हैं। गणना की सूक्ष्मता गौर करने काबिल है ! यह भी लिखा है कि इस जम्बूद्वीप के यदि एक एक योजन के गोल खण्ड किये जायें तो १० अरब खण्ड होंगे और यदि एक एक योजन के सम चोरस खण्ड किये जायें तो ७६०५६६४१५० खण्ड होकर ३५१५ धनुष्य ६० अङ्गुल क्षेत्र बाकी रह जाता है। अब हम जैन शास्त्र कथित और वर्तमान दोनों के वर्ग माइल पर दृष्टि डालते हैं तो बहुत बड़ा अन्तर पाते हैं। कहां १६ कोटि ७० लक्ष माइल वर्तमान के और कहां १ शंख ६० पद्म माइल जैनों के । पचीस हजार माइल की परिधि के एक गोल पिण्ड के वर्ग माइल कितने होंगे, यह एक छोटी कक्षा का विद्यार्थी भी बता देगा। हमारी पृथ्वी पर आज हम एक सिरे से दूसरे सिरे तक आसानी से चारों तरफ विचरण कर रहे हैं। एक निश्चित स्थान से रवाना होकर एक ही दिशा में चलते हुए ठीक उसी स्थान पर
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