Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 43
________________ भामंडल बेहोश मुनिराजश्रीसत्यभूतिमनःपर्यवज्ञान के स्वामीथे, अतः भामंडल की मनोदशा जान गए। उन्होंने देशना में चंद्रगति राजा व रानी पुष्पवती तथायुवराज भामंडल व सीता के पूर्वभवों का विस्तृत वर्णन किया। फिर उन्होंने जनक राजा की रानी विदेहा ही कुक्षि से भामंडल और सीता का पुत्रपुत्री रूप से जन्म व अपहरण का वृत्तांत यथार्थ रूप से कहा मुनिराजश्री का कथन सुनते ही भामंडल मूच्छित होकर भूमि पर गिर पडा। पुनः चेतना प्राप्त होते ही मुनिराजश्री सत्यभूति की बातें अक्षरशः सत्य है, यह उसने चन्द्रगति को ज्ञात किया। कर्म की विचित्र लीला देखकर राजा चंद्रगति के मन में वैराग्य जगा। भामंडल ने अपनी ज्येष्ठ भगिनी सीता को प्रणाम किया, सीता ने भी उसे अपना अनुज जानकर आशीर्वाद दिये। राम ने स्नेहपूर्वक भामंडल को आलिंगन दिया। राजा चंद्रगति ने विद्याधरों को भिजवाकर मिथिलानरेश जनक एवं रानी विदेहा को बुलवाया। उनके आते ही चंद्रगति ने उन्हें संपूर्ण हकीकत सुनाई और कहा कि वास्तव में युवराज भामंडल आपके ही सुपुत्र हैं, यह जानते ही रानी विदेहा के स्तन से दूध की धारा बहने लगी, जनकराजा अत्यंत प्रमुदित बने । भामंडल ने भी अपने वास्तविक मातापिता को प्रणाम किया, मातापिता ने उसे सप्रेम आशीर्वाद दिये। जनकराजा ने अपने युवापुत्र के स्कंधों पर राज्य की धुरा सौंपकर आत्मसाधना हेतु मुनिराजश्री सत्यभूति से दीक्षा ग्रहण की। hue MOTwetalal cobcodaibcoochodai इसके पश्चात् दशरथ राजा ने मुनिश्री से अपने पूर्वभवों की पृच्छा की। सत्यभूति मुनि से अपने पूर्वजन्मों का ब्यौरा सुनकर राजा दशरथ का वैराग्य भाव अति उत्कट हो गया। वे राम को राज्य सौंपने के लिए प्रासाद गए। भामंडल ने रथनुपूर की दिशा में प्रयाण किया। DAODDAmawe Cooooooooooobar के पूर्वभव में जनकराजा एवं सत्यभूति मुनि से दशरथ के क्या संबंध थे? पूर्वभव का विवरण सुनते ही दशरथ के मन में वैराग्य क्यों जगा? यह जानने के लिए पढ़ें - परिशिष्ट-३ Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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