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लक्ष्मण के साथ खर का युद्ध
विवाह के प्रस्ताव की अस्वीकृति एवं पुत्रवध के दुःख से क्रुद्ध वह शूर्पणखा अपने पति के समक्ष गई व उन्हें पुत्रहत्या का वृत्तांत सुनाया। कुपित खरराजा चौदह सहस्र विद्याधरों की सेना लेकर वंहा युद्ध करने आए। लक्ष्मण ने राम से सीता के निकट रहने का अनुरोध किया व स्वयं ने युद्ध हेतु जाने के लिए अनुमति प्राप्त की।
DAIRS
राम ने कहा, "अनुज ! यशस्वी भव ! तुम विजयी बनोगे, यह मेरा केवल आशीर्वाद ही नहीं अपितु आत्मविश्वास भी है। फिर भी यदि तुम पर कोई घोर संकट आता है, तो सिंहनाद करना। मैं सत्वर तुम्हारी सहायता के लिए दौड आऊँगा।"
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