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रामचन्द्रजी द्वारा लक्ष्मण को औषध पीलाने का प्रयास
राजवैद्यों एवं ज्योतिषियों को बुलवाया गया। औषधादि प्रयोग किये गए, मंत्र तंत्रादि के भी प्रयोग किये गए, किंतु वे सब असफल हुए।
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राम मूर्च्छित हुए किंतु कुछ समय पश्चात् होश में आकर उच्च स्वर में विलाप करने लगे। रामचंद्रजी का विलाप सुनकर बिभीषण, सुग्रीव और शत्रुघ्न फूट-फूटकर रोने लगे। कौशल्यादि माताएँ, पुत्रवधुएँ भी करुण रुदन करते करते बार-बार मूर्च्छित होने लगी। अयोध्या नगरी के घर-घर में, अरे ! पुरी नगरी में शोक
का वातावरण छा गया।
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