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स्ववग-सेटी
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आचार्यदेव श्रीमद विजय प्रेमसूरीश्वरा
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एक हती राजकुमारी
(गुज., अंग्रेजी) = १००/
प्रासंगिक मल्टी कलर में फोटो युक्त, हनुमानजी की मातृश्री अंजनासुंदरी के चरित्र की करूण स्पर्शी कहानी है।
चलो सिद्धगिरि चलें...
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| श्री विश्वनिविवान की सचित्र मानवात्रा
.पू. देशा
टेन्शन टु पीस (गुज., हिन्दी ) = १०/दुनिया भर के टेन्शन लेकर घुमते मानव के चित्त की शांति हेतु विविध प्रेक्टिकल प्रयोगों से भरपुर ।
खवगसेढी (प्राकृत, संस्कृत)
६ वर्ष के अल्प पर्याय में पूज्यश्री द्वारा लिखित २०,००० श्लोक प्रमाण, प्राकृत संस्कृत भाषा में क्षपकश्रेणि का विश्लेषण करता अलौकिक महाग्रंथ है। बर्लीन युनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्लाऊझ ब्रून ने भी इसकी खुब प्रशंसा की है।
રાજસુમથી
टेन्शन सुपीक
ध्यान से परमशांनी
बंधनकरण
(संस्कृत) = १००/
इस ग्रंथ पर पूज्यश्री ने १५००० श्लोक प्रमाण संस्कृत टीका लिखी है। इसमें सत्पदादि द्वार से आठ कर्मों के बन्ध की मार्मिक जानकारी है।
આચાર્ય દેવો સૂકો છે જે
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प.पू.आ.श्री गुणरत्नसूरीजी म.सा.
चलो सिद्धगिरि चले
(हिन्दी, गुज., अंग्रेजी) = २००/
श्री शकुंजय महातीर्थ के सभी महत्वपूर्ण स्थानों के १७५ रंगीन फोटो व उन स्थानों की विस्तृत जानकारी एवं प्राचीन ऐतिहासिक घटना इसमें हैं। इस तीर्थ की हूबहू यात्रा का वर्णन यात्रिकों को अपनी यात्रा में खास उपयोगी है।
पूज्य श्री द्वारा निम्मित
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श्री राज की संलिप्त के साथ
अनशन को सिद्धवट हो (हिन्दी, गुज., अंग्रेजी) = रंगीन प्रासंगिक फोटो सहित ६ गाउ की ३०/भावयात्रा और साडे आठ करोड मुनियों के साथ मोक्ष प्राप्त करनेवाले शांब व प्रद्युम्न का विस्तृत चरित्र है।
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भास्तोत्र
સવાલ: આચાર્યદેવ શ્રી ગુણરત્ન સૂરીશ્વરજી મ. સા.
कहीं मुरझा न जाए (गुज., हिन्दी ) २०/
इस भव में हुए भयंकर से भयंकर पापों को मिटाने का सामर्थ्य आलोचना में है। आलोचना द्वारा आत्मशुद्ध बनकर आत्मा मोक्ष तरफ पहुँचती है। पापों के भिन्नभिन्न स्थान एवं आलोचना विधि स्पष्ट करती यह किताब अवश्य पढ़ें।
आधार-बेग...
भक्तामर स्तोत्र सचित्र (हिन्दी, गुज.) = ३०/
जय तीर्थाधिपति श्री आदिनाथ भगवान के ४४ तीर्थों के दर्शन वाला सचित्र भक्तामर स्तोत्र इसमें हैं।