Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 135
________________ 122 Jain वाला बना । पउमचरियं रामायण में लिखा है कि श्रीकान्त का जीव शंभुराजा बना था। पूर्वभव 筑 में वसुदत्त ने श्रीकान्त को मारा था। अतः शंभूराजा ने वसुदत्त के जीव श्रीभूति को मारा । जो गुणधर नामक गुणवती का भाई था। वह भव भ्रमण करके कुंडलमंडित नामक राजपुत्र बना। वह चिरकाल तक श्रावकपना पालकर मृत्यु पश्चात् सीता का सहोदर भामंडल बना । सुग्रीव बैल वृषभध्वज ईशान अनेक भव सुग्रीव राम धनदत्त १ ला देवलोक पद्मरुचि ईशान नयनानन्द ४ था देवलोक श्रीचन्द्र ५ वां देवलोक राम त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र के अनुसार श्रीकान्त का जीव • शंभु राजा का पुत्र वज्रकंठ बना था। तालिका लक्ष्मण वसुद हरिण अनेक भव श्रीभूति देवलोक पुनर्वसु देवलोक लक्ष्मण परिशिष्ट - ९ लव कुश के पूर्वभव काकंदी नगरी में वामदेव ब्राह्मण की श्यामला नामक पत्नी की कुक्षि से वसुनंद और सुनंद ये दो पुत्र हुए। एक बार दोनों ने मासक्षमण के तपस्वी मुनि को भक्तिभाव से सुपात्र दान दिया दानधर्म के प्रभाव से दोनों मरकर उत्तरकुरु में युगलिक के रूप में उत्पन्न हुए। वहाँ से मरकर सौधर्म नाम के पहले देवलोक में उत्पन्न हुए। वहाँ से च्यवन कर वापिस काकंदीपुरी में ही रतिवर्धन राजा की रानी सुदर्शना की कुक्षि से प्रियंकर और शुभंकर नाम के दो पुत्र हुए। लंबे समय तक राज्य का पालन करके दोनों ने दीक्षा ली और कालधर्म पाकर ग्रैवेयक में देव बने। वहाँ से च्यवन कर सीता के पुत्र लव और कुश के रूप में विशेष घटना परिशिष्ट नं. २ में देखिए। उपसंहार धनदत्त का जीव पद्मरुचि, श्रीचन्द्र आदि भव करके राम बने। पद्मरुचि ने सुग्रीव के जीव वृद्धबैल को नमस्कार महामंत्र सुनाया था। अतः सुग्रीव राम के पक्ष में आया । धनदत्त के भव में याज्ञवल्क्य उसका मित्र था। इससे राम के भव में याज्ञवल्क्य का जीव बिभीषण मित्र बना । रावण श्रीकान्त हरिण अनेक भव शंभू प्रभास ३ रा देवलोक रावण लव वसुनंद युगलिक प्रथम देवलोक प्रियंकर ग्रैवेयक लव बिभीषण याज्ञवल्क्य Pur Pursunar & Threat dse only बिभीषण उत्पन्न हुए । उनके पूर्वभव की माता सुदर्शना चिरकाल तक भव भ्रमण कर लव कुश के अध्यापक सिद्धपुत्र बनी । तालिका विशल्या अनंगसुंदरी ईशान देवी विशल्या कुश सुनंद युगलिक प्रथम देवलोक शुभंकर ग्रैवेयक कुश सिद्धपुत्र सुदर्शना सिद्धपुत्र wwwww.jainellorary.org

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