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सूर्पणखा का रावण के
पास आना
युद्धभूमि में जाकर लक्ष्मण चौदह सहस्त्र विद्याधरों के साथ अकेले ही लडने लगे। अपने पति का पक्ष बलशाली बनाने के लिए व पुत्रवध के प्रतिशोध के लिए शूर्पणखा लंका पहुँची । भ्राता रावण के समक्ष जाकर उसने कहा, "दंडकारण्य में आए हुए आगंतुक राम-लक्ष्मण ने आपके भांजे शंबूक की हत्या की है। अतः चौदहसहस्त्र सुभटों को साथ लेकर आपके जीजाजी, लक्ष्मण के साथ युद्ध लड रहें हैं। लक्ष्मण अकेला ही लड रहा है, किंतु वह अभी तक हारा नहीं है।
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विनीतापुत्र गरुड जिस तरह सर्पसमूह को निमिषार्ध में नष्ट करता हैं, ठीक उसी तरह वह हमारे सुभटों के समूह को नष्ट कर रहा है और अपने बल पर अहंकारी व अपने अनुज के पराक्रम से गर्वित उसका भ्राता राम, सौंदर्यवती सीता के साथ दूर बैठकर विलास कर रहा है ! भ्राताश्री ! आप छल कपट का प्रयोग करके भी इस अद्वितीय सीता को ग्रहण कीजिये । त्रिभुवनसुंदरी सीता केवल मेरे त्रिभुवन-पराक्रमी भ्राता के लिए बनी है।
HANUMBINE
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