Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 94
________________ www LAD भरत और कैकेयी को केवलज्ञान व मोक्ष केवलज्ञानियों की बातें सुनकर भरत का वैराग्य तीव्रतर बना व उन्होंने अन्य अनेक राजाओं के साथ साथ दीक्षा ग्रहण की व सिद्धगिरि महातीर्थ पर ३ करोड मुनियों के साथ मोक्षप्राप्ति करने में यशस्वी बने। कैकेयी ने भी दीक्षा अंगीकार की। कठोर साधना के माध्यम से केवलज्ञान प्राप्त कर उन्होने भी मोक्ष पाया। * कई रामायणों में अनेक पत्नियाँ बताई हैं। देखिए उत्तर पुराण (६८Jain 8888 महापुरणा ७०-१३, पउमचरियं ९१-१७) DILIP SONI 11-2906 DILIP 81 26 लक्ष्मण का राज्याभिषेक व गर्भवती सीता का त्याग भरतजी के दीक्षा के पश्चात् अनेक राजा व विद्याधरों ने भक्तिभाव से राम को सूचित किया कि अब राज्य का पदभार वे स्वयं ग्रहण करें। किंतु राम ने कहा कि, "हमारे जन्म के समय स्वप्नसूचन हुए थे, उनके अनुसार मेरा अनुज लक्ष्मण वासुदेव बनेगा । अतः उसका राज्याभिषेक करना ही उचित है।" रामचंद्रजी के आग्रहानुसार लक्ष्मण का राज्याभिषेक हुआ एवं उन्हें वासुदेव घोषित किया गया रामचंद्रजी का अभिषेक कर उन्हें बलदेव घोषित किया गया। वासुदेव लक्ष्मणजी ने बिभीषण को राक्षस द्वीप, सुग्रीव को वानरद्वीप, विराध को पाताल लंका, प्रतिसूर्य को हनुपूर, भामंडल को रथनुपूर, हनुमान को श्रीपुर, शत्रुघ्न को मथुरा, इस प्रकार यथायोग्य पद्धत्ति से विविध राज्य प्रदान किए। लक्ष्मणजी की सोलह हजार रानियाँ थी । विशल्या, वनमाला व अन्य चार पटरानियाँ थी। रामचंद्रजी की सीता, प्रभावती, रतिनिभा और श्रीदामा ये चार पटरानियाँ थी । सीता को स्वप्न दर्शन एक समय ऋतुस्नात होने के पश्चात् सीताजी ने रात्रि के अंत में दो अष्टापद प्राणी देवविमान से च्युत होकर अपने मुख में प्रवेश करते हुए स्वप्न में देखे। उन्होंने इस स्वप्न का वर्णन रामचंद्रजी से किया। रामचंद्र बोले, "हे देवी! आप की कृषि से दो वीर पुरुष उत्पन्न होनेवाले हैं, यह स्वप्नद्वारा सूचित होता है। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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