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________________ 48 लक्ष्मण के साथ खर का युद्ध विवाह के प्रस्ताव की अस्वीकृति एवं पुत्रवध के दुःख से क्रुद्ध वह शूर्पणखा अपने पति के समक्ष गई व उन्हें पुत्रहत्या का वृत्तांत सुनाया। कुपित खरराजा चौदह सहस्र विद्याधरों की सेना लेकर वंहा युद्ध करने आए। लक्ष्मण ने राम से सीता के निकट रहने का अनुरोध किया व स्वयं ने युद्ध हेतु जाने के लिए अनुमति प्राप्त की। DAIRS राम ने कहा, "अनुज ! यशस्वी भव ! तुम विजयी बनोगे, यह मेरा केवल आशीर्वाद ही नहीं अपितु आत्मविश्वास भी है। फिर भी यदि तुम पर कोई घोर संकट आता है, तो सिंहनाद करना। मैं सत्वर तुम्हारी सहायता के लिए दौड आऊँगा।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004226
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year2002
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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