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वास्तु-स्मारक एवं मूर्तिकला 300 ई०पू० से 300 ई०
[ भाग 2 दिशाओं के सम्मुख या स्तूप के ही चारों ओर बने बालों के भीतर प्रतिष्ठापित की जाती थीं।
कुषाण तथा कुषाणोत्तर-युग के एक महत्त्वपूर्ण वर्ग की मूर्तियों में एक तीर्थकर का चित्रण किया गया है, जिसे नेमिनाथ के रूप में पहचाना गया है और जिसके पार्श्व में बलराम तथा वासुदेव-कृष्ण की मूर्तियाँ निर्मित हैं। परवर्ती कुषाण युग की इस प्रकार की एक मूर्ति में बलराम को सप्त-फण-छत्र और चार भुजाओं सहित दिखाया गया है। ऊपरी दाहिने हाथ में एक हल है और निचला बायाँ हाथ कमर पर रखा हुआ है। वासुदेव-कृष्ण के ऊपरी बायें हाथ में एक गदा है और ऊपरी दाहिने हाथ में एक चक्र है; शेष दो हाथों में जो वस्तुएँ हैं, वे टूट गयी हैं। मूर्तियों के ऊपर एक प्रक्षिप्त छत्र है तथा वेतस की, जो नेमिनाथ का कैवल्य-वक्ष था, पत्तियाँ चित्रित की हुई हैं।
अन्य मूर्तियों में दो विशेष रूप से द्रष्टव्य हैं। एक मूर्ति (रा० सं० ल०, जे-१) तीन परिचारिकाओं सहित यक्षी पार्यवती की शिल्पाकृति है, जो लाल बलुआ पत्थर के पूजा-पट्ट पर उत्कीर्ण है। परिचारिकाएं हाथ में छत्र, चमर और माला लिये हुए हैं। उनके साथ हाथ जोड़े हुए एक बाल आकृति है (चित्र १६) । इस पूजा-पट्ट पर, जो संभवत: पायाग-पट है, अमोहिनी का एक समर्पणात्मक शिलालेख है, जो महाक्षत्रप शोडास के वर्ष ७२ (१५ ई.) का है। आर्यवती अपनी बायीं भुजा को कटि के निकट और दक्षिण भुजा को अभय-मुद्रा में रखे हुए सम-पद में खड़ी है; इस आर्यवती का महावीर की माता त्रिशला के साथ तादात्म्य स्थापित किया गया है।
दूसरी मूर्ति, जो अब यद्यपि शीर्षविहीन है, अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह अबतक खोज निकाली गयी सरस्वती (चित्र २०) की प्राचीनतम जैन मूर्ति है। वर्ष ५४ (१३२ ई०) की इस मर्ति पर एक समर्पणात्मक शिलालेख है। एक आयताकार पादपीठ पर ऊपर की ओर घटने मोड़कर बैठी हुई यह देवी, जिसे विशेष रूप से सरस्वती नाम दिया गया है, कटिस्थित अपने बायें हाथ में एक पुस्तक लिये हुए है । कंधे तक उठे हुए दाहिने हाथ की टूटी हुई हथेली में संभवतः एक माला ग्रहण की हुई थी। इतने पुरातन काल में विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति का प्रतिष्ठापित किया जाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह ज्ञात होता है कि जैन लोग केवल विद्या की प्राप्ति को
1 पू० सं० म०, 2502. / जर्नल ऑफ द यू पी हिस्टॉरिकल सोसायटी. 233; 1950; 50 तथा
परवर्ती.
2 एपिग्राफिया इण्डिका. 25 199. / सरकार (डी सी). सेलेक्ट इंसक्रिप्शन्स. 1. 1965. कलकत्ता.
पृ 120. 3 रा० सं० ल०, जे-24. / ल्यूडर्स, पूर्वोक्त, क्रमांक 54.
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