Book Title: Jain Kala evam Sthapatya Part 1
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 306
________________ वास्तु-स्मारक एवं मूर्तिकला 600 से 1000 ई० [ भाग 4 100500 100 - - SCALE OF SCALE OF 200 FEET .. 60 METRES 2010 20_ 40_ IEC 272 277 212217 2011 । रेखाचित्र 9. देवगढ़ : मंदिरों की रूपरेखा प्रतिमाएँ यह प्रमाणित करते हैं कि इस स्थान पर नौवीं शताब्दी के और भी अनेक मंदिर विद्यमान रहे होंगे। बड़े शिलाखंडों से निर्मित विशालकक्षीय मंदिर क्रमांक ६, १३, १६ और २० दसवीं शती के हैं, जिनमें पूर्व मध्यकालीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। विशालकक्षीय मंदिर क्रमांक १७ में भी पूर्व मध्यकालीन दसवीं शताब्दी की प्रतिमाएँ हैं। इस मंदिर की भित्तियाँ ध्वंस हो चकी हैं। विशालकक्षीय मंदिर क्रमांक २, ३, ११ और १६ दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दियों के हैं। इनकी भित्तियाँ शिलापट्टों से निर्मित हैं और इनमें मध्यकालीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर क्रमांक २ (विक्रम संवत् १०२३, १०५१ तथा १०५२) और मंदिर क्रमांक ११ (विक्रम संवत् ११०५ तथा ११२६) के 184 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366