Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 190
________________ संख्या ६५ प्रणतवय कहा ६६ प्रराहणासार ६७ हरिसेणचरिउ विषय वीर कवि ६८ मयण पराजय कवि हरदेव ६९ सिद्धचक्र कहा नरसेन ७० प्रणत्थमिय कहा हरिचन्द ७१ चूनड़ी रास ७२ णिज्भर पंचमी कहारास मुनि विनयचन्द ७३ कल्याणकरास 27 ७४ सोलवर विहाण कहा विमलकीर्ति ७५ चन्दण छुट्टी कहा लाखू या लक्ष्मण ७६ हि सत्तमी कहा मुनि बालचन्द ७७ दुद्धारस कहा मुनि बालचन्द ७८ रविवय कहा नेमिचन्द ७६ सुगंध दसमी कहा ८० मुक्तावली कहा " ६२ दुद्धारस कहा ६३ रविवय कहा ६४ तियाल चडवीसी कहा ६५ कुसुमंजली कहा वेक्खा रासो जल्हिगि ८१ ८२ बारस प्ररणुवेवखा रासो पं० योगदेव ८३ प्रणुवेक्खा दोहा लक्ष्मीचन्द ८४ श्रणुवेक्खा प्रल्हूकवि ८५ हरिवंशपुराण श्रुतकीर्ति ८६ परमेट्ठिपयास सारो "1 " ८७ संतिरगाह चरिउ महाचन्द ८८ मयंक लेहा चरिउ भगवतीदास ८६ श्रजियपुराण पं० विजयसिंह ६० कोइल पंचमी ६१ मउड सत्तमी कहा ब्र० साधारण " "3 " 11 11 पृष्ठ १०५ १०५ १०६ १०६ १०६ १०७ १०८ १०६ १०६ १०६ १०६ १०६ ११० ११० ११० ११० ११० १११ १११ १११ १११ ११२ ११३ ११६ ११७ ११६ १२० १२० १२० १२१ १२१ संख्या ६६ गिद्द सि सप्तमी कहा ६७ रिज्झर पंचमी कहा विषय ६८ प्रणुवेक्खा EE सिरिपाल चरिउ रइधू 11 १०० पासपुराण कवि तेजपाल १०१ सिरिपाल चरिउ दामोदर रइधू ا" 21 १०२ पासचरिउ कवि प्रसवाल १०३ संतिनाह चरिउ १०४ मल्लिरगाह कव्व जयमित्तहल १०५ वडमाण कहा नरसेन १०६ सम्मत्तकउमदी १०७ जोगसार श्रुतकीर्ति १०८ मउड सत्तमी कहा १०६ सुगंध दहमी कहा, ११० स्वयंभू छन्द स्वयंभूकवि प० नं० १ १११ भविसयत्तकहा धनपाल पुष्पदन्त "1 शाह ठाकुर ११२ महापुराण ११३ जसहर चरिउ ११४ गायकुमार चरिउ 11 ११५ करकंडु चरिउ प० नं० २, मुनिकनकामर ११६ आदिपुराण पुष्पदन्त ( लिपि प्रश०) ११७ भविसयत कहा विबुध श्रीधर, १२१ संतिरगाह चरिउ शुभकीर्ति १२२ मिरगाह चरिउ दामोदर भगवतीदास ११८ हरिवंशपुराण श्रुतकीर्ति ( लिपि प्रश० ) परिशिष्ट नं० ३ ११६ रोहिणी विधान कथा देवनन्दि १२० वडमारण चरिउ विबुध श्रीवर १२३ सुगन्ध दसमी कहा भ० विमलकीति १२४ पुप्फंजलि कथ १२५ मेघमाला वय कहाँ अनन्तकीर्ति गुरु कवि ठकुरसी पृष्ट १२१ १२१ १२२ १२२ १२४ १२६ १२८ १२६ १३१ १३२ १३२ १३३. १३५ १३५ १३६ १३७ १३८ १३६ १४१ १४२ १४४ १४५ १४६ १५० १५० १५० ३५१ १७६ १७६ १७६

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