Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 362
________________ १७४ वल्लहराय ( बल्लभराज ) १० १ वल्लालु वसुएव (वसुदेव) वहोरु ( पुत्र वाहा साहु) वाटू साहु वाटू (साहू) वाडगामि वामदेव वाल्लाही भार्या वासद्धरु ( वासाघर) वासावरु वासाहर वासाहरु (वासाघर) वासुव (वासुदेव) वासुव (वासुदेव) प० २ वाहोल (लघु भ्राता रघू कवि ) विक्कमाच्च (विक्रमादित्य ) विजयपालही विजयसिरि ( भार्या हंसराज चौधरी) प० २ विजयसिरि (विजयश्री - माता रइधू कवि ) विजवालु प० १ विननो विसयसे बिहराज बीघा साहु वीघू वीघो १० २ वीरचंदु प० २ वीरदास वीरदेउ वीरा (भार्या सिंह) प० २ वीरा are (कवि) वीरो वीरोसाहु प० १ वीबो जैनग्रन्थ-प्रशस्ति-संग्रह १४१ ५४ ३६ ६० ७८ १२६ २७ १०० ५१ ३४ ३७ ८७ १४३ १२३ ३७ ३३, ३६ श्रीधर ( सेठ) श्रीधर श्रीपाल वीसल साहु प० १ वील्हा वील्हा ( पुत्र नरपति) ૪૨ १४५ ७६ श्रीहलु २६ शृङ्गारदेवी १२३ सउराजही १४४ वील्हा वील्हाही (द्वितीय पत्नी वाटू साहू) वील्हाही ( द्वितीय भार्या साहू हरिसी ) वील्हाही ( ध० प० पजरग साहु ) वील्हा वोहिथही ( घ० प० पाहा साहु ) शुभंकर (भ्राता सिंह कवि) श्रीचंदु श्रीधर संतुश्रा ( माता वीर कवि ) संतोसु १०६ संपुण्ण ३७ सज्जरण १४४ १३३ १०५ ७२ ७२ सतनु १०३ समदो १४० संतरपु संतिदास १४४ समरासह ( भा० ) १४५ समुदविजय ६० ४४ समुदपाल ६८ सरसुती ( पुत्री होलिवम्मु ) सरासर ( ध० प० कमलसीहु) सरो (गेहिरणी ऊक्षू साहु) T सलवखरण सलक्खरण सलवखरणा (पत्नी कृष्णादित्य) सलक्सगु १४० ૬૪ १०८ ७८ ७८ ८३ ७६ ६० २२ ११५. १६ १८ ४६ २ ५२ ७ ११५ ३३ ५६ ६ ३७ १० १३१ १७ ११५ १२८ ३६ १० ७६ GS १४७ १० ११७ ३१ १३३

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