Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 360
________________ १७२] पीरसेवामन्दिर बन्यमाना ११४ मेडिव भार्या जेजा साह ८०,८८ मेरु भार्या रत्नसीह १११, १२८ मेल्हाही भार्या करमचन्द भोयराउ भोयराज (बामाता कमलसीह) भोयह (भोवराण) भोवड (राजभेष्ठी) मणसिरि मणिको मदन मदनपालही (गा पहराज) मदनसिहरथ मदो (मदन) मयणु मयण (मदनपालही... मयषु सुन्दरि मरसेण मल्लिदास मल्लिदासु मल्लु (दास) मल्हा [सोढ़ तृतीय पुत्र] मल्हाही (पत्नी लखमए) मल्हाही (पत्नी साह चीमा) मल्हि (ल्लि) क्षस महणचन्द महणा (सुत जुगणा) महणसिरि महणसीह महरूसाहु महसूदण (बेष्ठि) महदासु १. मोल्हण मोल्हण ८३ यशःकीति भट्टारक ३७,३८,४१, ४२ रहधू महाकइ ६४,७१,७७, ७६, ६३, ६१, ६५ १२४ E९, १३२ १७ रबधूकह ९७, १०१,१०२, १२४ ७६ रघु कवि ६६, ६७ १२२ रइधू पंडित ७०, ७२, ७५, ७६, ७, ८८, ९३, ११३ ७२ रइष बुह ५२, ५३, ८७ रहपति (३रा पुत्र सहसराज) ८७ रइ (ह) पति ११५ रहपति ३० रउपाल (३ रा पुत्र वासापर) रण ५८ रतणउ रतनू रणमल रणमलसाहु रणमलु ५३,७२ रणमलु रणमल्लह रत्नकीर्ति (रयरगकित्ति) रत्नपाल प्रथम पुत्र सोढु रत्नपाल रत्नपाल (देवराज पुत्र) ५३ रत्नपालही (धर्म प० सहसराज) ६३ रत्नसिंह (भाई वासापर) ८७ रत्नाकर (रयणायर छठा पुत्र सोमदेव). रयणकित्ति रत्नकीर्ति भट्टारक १३३ रयणकित्ति रत्नकीति प्राचार्य ११५ रयणपाल रयणसाह १२७ रयणा (भार्या वादू साह) ११६, १२५ महादे महादेवही महाराज (चतुर्ष पुत्र सोमदेव) महाराजु (कनिष्टनाता खेमसिंह) महासिरि (महाश्री) माणिक्कसाहु मानासिंधु माहणसिंह भ्रातारइबू कवि मुबंग(मृदंब) मेवाण मेदिनी] मल्लु

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