Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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१५२ ]
१०४ मउढ सत्तमि (मी) कहा
१०५ मउड सप्तमी कहा
१०६ मयण पराजय
१०७ मल्लिनणाहकव्व १०८ मियंक हा चरिउ
१०९ मुक्तावली कहा
११० मेहेसर चरि
११६ वढ्ढ माणकच १२० वरंग चरिउ
१२१ संतिरगाह चरिउ
-१२२ संभवणाह चरिउ
२२३ सम्मइजिण चरिउ
१२४ सम्मत उमदी
१२५ सम्मत गुणणिहाण
ब्रह्म साधारण
हरिदेव
जयमित्र हल
१११ रयणराव कहा
गुणभद्र
१ २ रयणकरंडु सावयायार श्रीचंद
११३ रविबउ कहा
यशः कीर्ति
११४ रविवय कहा
ब्रह्म साधारण
नेमचन्द
११५ र विवय कहा ११६ रिट्ठमि चरिउ
११७ रिट्ठेोमि चरिउ
११८ लद्धिविहारण कहा
१३१ सिद्धस्थ सार १३२ सिरिपाल चरिउ
१३३ सिरिपाल चरिउ
१३४ सुकुमाल र
भगवतीदास
भगवतीदास
X
रद्दधू
स्वयंभूदेव
र कवि
गुणभद्र
हरिद
कवि तेजपात्र
महाचन्द्र कवि तेजपाल
रइधू कवि
इषू
रघु
१२६ सयलविहिविहाण कब्व नयनन्दी मुनि
१२७ सवणवारिसिविहाण कहा गुणभद्र -१२८ सांति गाह चरिउ
१३० सिद्ध चक्क कहा
ठाकुर
नरसेन
रइथू
दामोदर
रद्दधू विबुध श्रीधर
वीर सेवामन्दिर ग्रन्थमाला
१३५
१२०
१०६
१३१
११६
११०
१३८ सुगंध दहमी कहा
१३ सुगंध दहमी कहा
१४० सुदंसण चरिउ
७६
१४१ सुलोयणा चरिउ
१०४ ४२ सोखवइ विहाण कहा
८
४५
१२०
११०
२
GS
१०४
४८
५४
११३
५०
६२
१३२
८३
२४
१०२
१२६
१७६
६६
१२६
१२२
१३५ सुकुमाल चरिउ
१३६ सुकोसल चरिउ
१३७ सुगंध दहमी वय कहा
&
४३ सोलह कारण बय कहा
४४ हरिवंश पुराणु
४५ हरिवंश पुराण
४६ हरिवंस पुराण
४७ हरिसेणु चरि
१ करकंड चरिउ
जसहर चरिउ
३ गायकुमार चरिउ
४ भविसयत्त कहा
५ महापुराण
६ सयंभू छन्द
मुनि पूर्णभद्र
रइध
भगवतीदास
गुणभद्र
X
नयनन्दी
मिनाह चरिउ
रोहिणी विधान कहा
बहुमाण चरित्र
शांतिरगाह चरिउ
देवसेन गणी
विमलकीर्ति
X
परिशिष्ट नं० १
गुणभद्र
धवल कवि
यशःकीर्ति
श्रुतकीर्ति
कनकार मुनि
पुष्पदन्त
"1
धनपाल
पुष्प दन्त
स्वयंभू कवि
५५
७०
१३५
२०५
ܐܕ
१८
१०६
१०५
११
४१
*
१०६
१४२
१३६
१४१
१३७
१३८
१३६
परिशिष्ट नं० २
पुप्पदस के आदि पुराण की लिपि प्रशस्ति
१४४
विबुध श्रीधर के भविष्यदत्त चरिउ ( लिपि प्रशस्ति ) १४५ भ० श्रुतकीर्ति के हरिवंस पुराण की लिपि प्रशस्ति १४६ परिशिष्ट नं० ३
कवि लक्ष्मण
देवनंदि
fagu श्रीधर
शुभकीर्ति

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