Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 357
________________ ९२, ५ ॥ तेजासाहु १८, ६९ जनपन्य-प्रसास्त-माह ६८, ७६,६२ तिलक झामू चौधरी ५८ तिमोकाही झाभूदिवाराज २ रा पुत्र] ६. तिहणपाल माझेही [धर्म प. सहजपान ६८ तिहुबलसिरि टोडरमलु ६२ तिहणा मकुरु (३ रापुत्र मंकर) ६६ तिहणाही गमा (४था पुत्र सहवपाल) ६६ तेजपाल डूंगर [पहना पुत्र साहवोल्हा ४. तेजपाल वरिणक] डुंगरही [मार्या शुगणा] तेजपालु डूंगरही [भार्या कोल्हूसाह] एमासदत्त [४ था पुत्र दिउठा] दूमाही [पुत्र दिवचन्द] . ४३ तेजू पुत्र २ रा बाल्हेसाह] डाकह ६९ ते श्रिावक पंदण १२६ तेजसाहु एक्सत्ता साह १२७ तोसउ [सहषपानपुत्र छठा] एक्खत्त सीह १२८ तोसउसाहु रायणसिंह १२३ तोसउसाह [हरिसिंह पुत्र] रायणा [भार्या बाटूसाह] १० तोस [लघुवान्धव सहदेव] माइक्कुदेवि (रानी) १२८ तोउ [पुत्र दिवराज]] गाग तोमही [भार्या] गागराजु थोल्हासाहु पाणचन्द [शानचन्द] ११५ थील्हा [सहजपालपुत्र पंचम गाणा [शाना-ज्ञानचन्द] दगाई पाए दरगहमस्तु [वाक्क] पाल्हाही धर्म प० भोपासाह दरवेमु णिउषी [भा० जालपसाह] दसरह [दशर गिउराडे [पत्नी सेमसीह रिणउरादे दालाही [५० ५० लोणासाह पार्टी दिउढा (पुत्र साहु दिवचन्द) दिवचन्द गेम नाम का ठाकुर दिउचन्दहिदिवचन्द ही (मा० करमचन्द) गेमिचन्द [सुपुत्र बोर कवि] दिउपाल (पंडित) गेमिदास १०१, ११२, ११५, १२६, १३३, १३४ दिउपास मिदासु १०० दिउराजु तक्खड़ [श्रेष्ठी] ६ दिउराषही (भार्या वील्हा साह) ताल्हए ११५ दिउसी [दिउही पात्र] ताल्हय [रणमलणंदण ५४ दिउहीदेवी ताल्हू [तीसरा पुत्र] ६. दिल्हणश्रेष्ठी तिपरदास १. दिवचन्द साह ६१ दामाडाली ९२, ६३ ४१,४३ ५८, ५६ ५८, ६. ४०,६१ ५१ ११८

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