Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 339
________________ जनग्रन्थ-प्रशस्ति-संग्रह १५१ ऐमिणाह परिउ (नेमिनाथ चरित्र) तिपयाहि देह जिणेसरहो, कवि दामोदर जय जय भणंतु परमेसर हो। मादिभाग रिणविण्ण भव-भीसण रउद्दि, इस ग्रंथ का मादि का एक पत्र उपलब्ध नहीं हुमा । संसार-गहिर-तारहि समुद्दि । xxx छह दिट्ठउ तुह मुह कमलु प्रज्जु, जिण हरई मसंखइंणिरुपमाई, हियइंछिउ सिद्धई सयल कज्जु । वण्णण को सक्कइ तहं गुणाई। मण्णाण मोह तिमिर-हर-सूर, कंदप्प-दप्प-हय पलय पूर। ... . सासूर मोहर धय-धुवेद, जग्गोय कित्ति णं दिवि जिवेइ । कलि-मलिरिणण्णासण सुजस धम्म, लक्सरण पणेय बहु विहय रम्मु । घता ते पण णयण जे पइं णियंति, तहि वीर जिणेसरु हय वम्मीसरु दुक्किय काय-विणासया । णिग्गंथ महामुणि सत्थत्यहमणि अणुअण्णु ण झायहि परमप ते षण्ण सवणु नुम थुइ सुणंति । तहि कमलभदु संघाहि वई, ते धण्ण पाणि तुव पूज्ज रहिं, कुसुम-सर-वियारण तउ-तवई। कलि-मलु असेसु णिव सद्दवहिं । मम-मट्ठ दुइ गिट्ठवण वीरु, सत्तरखर पंच प्पयहं लीण, . बावीस परीसह सहण धीर । जिणु थुगइ भव्वु-पह-पंथ खीणु । परि-कम्म किरहिछि ग्णण विवाणु, राईव भव्य, संबोह-माणु । पतासकसाय तिसल्ल तिवेउ हणण, जिण सामिउ वंदिउ मणिमाणंदिउइक्छा कारकरे वि पुण, जमु तिम्णि काल सुमसाण हरण । उज्जंतहं सामिउ सिव-सुहगामिउ बंदहु भषियहरणेमि जिरण हय गारव मोह मयंदु जित्तु, मासीस देइ पयडई णिमित्त, जिण धम्मु देस णं णिरु पवित्त । भउ गग्ग एउ साणंद चित्तु । भव्वयण विदंवा वय सुजाण तब वयणहं उवरणि बदगाहु, धीमंत संत संजम णिहाण । सजाउन चित्तउ धम्मलाहु । सह मंडण मल्हहं तणउ सुण्ण, कि किज्जद रज्जइ परियरेण, णग्गेर गिरतरु कर पुण्णु । कि किज्जा हय-गय-मरण हरेण । तहिं रामयंदु गुणगण महंतु, माया मउ पुत्त-कलित्त-मित्त, संजम सु-सील गुरु चरण भन्छ । सुरचाउं जम सयलई पणिन्छ । घत्ता मन्मत्थ वि षमणइं अमलपित्त, गुज्जरघर देसहो गरुवय वेसहो संपत्त उ मालवविसहं।। णग्गोउ परम भव्य मरणहि मित्तु । सलखणुपुरु दिट्ठउ मणि संतुट्ठउ, दामोपर कह प्रक्सहि वियाणि, भव्य वीर जिण-पय-एवउ। जिस होइए धम्महं तरिणय तारिण। खंडिल्ल वाल कुल-कमल अमलु, सवियारुस्स विन्भमु सरस मरिउ, विसयहं विरत्तु संसार सहलु । महु प्रक्खिउ गेमिकुमारचरिउ । केसवहं ताउ भन्बयण बंधु, जिमु गहिर-भवोवहि तरमि मजु, इंदुउ जिणधम्महो घरइ खंधु । संभलउ धम्म होइ णि यय कज्जु ।

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