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विएप पर एपदा मनोहर म्यासपान दिया मिसको पुमरि लोग भरपन्त मसभ हए क्योंकिपा मापान पया भी पामी प्रमूव को पी पी सब सपाभय में लोगों
और पिचार पारियदि इस प्रसारक म्यास्पाम पविक में रो मायें तब मैन पर्म को ममापना भी पी सकती है और साथ ही ना खाग पर्ग पर नहीं भवि नको पर्म का सोम मी हो सकता है।
मैन पपरत मे इस सम्मतिको सीपर से नगर में पो दाग धित किया लिमिप भावगण । हमारे रामोदय से स्वामी श्री . महाराम पदापर पपारे हुए और मानदिन २ बजे से लेकर पार बसे र स्वामी पी का "मनुष्य औषम परेय क्या है। इस विपप पर पाम्पाम रामा- प्रवर भाप सर्ने सम्बन मन म्पासपान में पपार र पर्मा बाप पगापे और हम चागों का कार्य कीमिये । बा पोखरे पत्र मगर में रिवीणे पिगमेवर सेगहों नर
मारियें विपक्ष समप परम्परूिपान में उपस्पिवगए। पस समय सापी भी में अपन ग्पाम्पान में मनुष्य नोपन रे मुरूप रो गरेप पक्षापे-एकबो "सदापरि।