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अवश्य है " क्योंकि उसको फल देने की स्वी स्फुरणा उत्पन होजाती है " इसके उत्तर में हमारे पेडिय भी ने कहा कि जब इश्वर को आप सर्वव्यापक मानते है तब आप यह भी बताइस कि स्फुरण बस ईश्वर क एक अंश में होती है या सर्व अंशों में " यदि एक अंश में स्फुरणा होती है तब स्वतः न ही " पदि सर्व शो में राइमाती है तब फक् तो एक जीव का देना या परन्तु मिल गया सब लोगों का यह अध्या पथवा ईश्वरीय म्याय हुआ" और फर्मों का फल ( डर ) या इसलिए देना होता है कि और लोग दुष्ट कर्म करन छोड़ दें परम्तु जब हम एक बश्या की पुत्री का देखते है ना कि एक बड़े सुन्दर रूप धारण किए होती है तब इस इस बाव का विचार करन जगते हैं कि यदि इसको परमात्मा नही
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अम्म दिया है व या परमात्मा ने अपन भार होम्यमि चार का कक्षाना चाहा क्योंकि यदि वह ऐसा रूप म दवा वा फिर खाम क्यों व्यभिचार करते पदि बस ने अपने किए हुए कर्मो कारण से ऐसा रूप स्वपमेन माप्त किया है तो फिर परमात्मा का फल माता मामन को क्या भवश्यकता है सा व सन्यासी इस एच