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मतिज्ञान के भेद
अवग्रह
अवाय
धारणा
102 :: जैनदर्शन में नयवाद
व्यंजनावग्रह
अर्थावग्रह
बहु
बहु
बहु
बहु
बहु
बहुविध
क्षिप्र
बहुविध
क्षिप्र # अनिःसृत
बहुविध
क्षिप्र । अनिःसृत के अनुक्त
बहुविध
क्षिप्र #अनिःसृत
बहुविध क्षिप्र अनिःसृत अनुक्त
ध्रुव है एक एकविध
# अनिःसृत व अनुक्त
के अनुक्त
अनुक्त
ध्रुव
व
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ध्रुव एक
ई एकविध
अक्षिप्र
स्पर्शन, रसना, घ्राण, कर्ण।
ध्रुव ने एक एकविध
अक्षिप्र निःसृत उक्त अध्रुव
स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु,
म एक है एकविध
अक्षिप्र
एकविध के अक्षिप्र
निःसृत
निःसृत
स्पर्शन, रसना, घ्राण,
स्पर्शन, रसना, घ्राण,
स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु,
उक्त
अक्षिप्र ई निःसृत
उक्त अध्रुव 12x6
उक्त
निःसृत म उक्त
अध्रुव
अध्रुव
12x4 48
12x6 72
12x6 72
. अध्रुव 12x6 72 = 336
+
-72
+
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