Book Title: Jain Darshan me Nayvad
Author(s): Sukhnandan Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 299
________________ सुखनन्दन जैन जैनधर्म और दर्शन के प्रख्यात विद्वान, प्राध्यापक एवं ओजस्वी प्रवक्ता। 15 अगस्त 1924, ग्राम : बरमाताल, जिला : टीकमगढ़ (म.प्र.) में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा अतिशय क्षेत्र पपौराजी, टीकमगढ़ से। तत्पश्चात् 1945 में पूज्य गणेश प्रसाद वर्णी के सान्निध्य में अध्ययनरत रहते हुए शासकीय संस्कृत महाविद्यालय, बनारस से साहित्य विषय में शास्त्री। 1958 एवं 1961 में आगरा विश्वविद्यालय से हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य में एम.ए.। 1977 में मेरठ विश्वविद्यालय से 'जैनदर्शन में नयवाद' विषय पर विद्यावाचस्पति (पी-एच.डी.) की उपाधि। सर्वप्रथम वर्णी महाविद्यालय, सहारनपुर में शिक्षण-कार्य और फिर दिगम्बर जैन कॉलेज, बड़ौत में संस्कृत विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष। सम्मान : 1976 में वीर निर्वाण भारती द्वारा 'समाजरत्न' उपाधि से विभूषित। 1979 में 54 वर्ष की आयु में देहावसान। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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