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जैन आगम : वनस्पति कोश
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अंश पाए जाते हैं। पत्र का पृष्ठ भाग चिकना होता है। पत्र के डंठल इतने छोटे होते हैं कि मानों ये डालियों से ही निकले हों।वर्षा ऋतु में पत्ते गल जाते हैं। छत्राकार पुष्प के तुरे पत्रवृन्त के पास से ही निकलते हैं तथा इन तुरौं या गुच्छों में कटारीनुमा या कनेर के पुष्प बैंगनी रंग के हल्की भीनी मधुर गंध युक्त, व्यास में १ इंच होते हैं। इनकी पंखुड़ियां सीधी खड़ी हुई होती हैं। इसके पुष्प फाल्गुन से जेठ मास तक ही पाए जाते हैं। पुष्पों की लौंग (कर्णफल) बड़े काम की वस्तु है, इसमें आक के सर्व अवयवों की अपेक्षा विष की मात्रा अत्यल्प होती है। फूलों के झड़ जाने पर प्रायः उनके ही स्थान में एक साथ दो-दो डोडे हरितवर्ण के निकलते हैं, जो चिकने, स्फुटनशील और लम्बोत्तरे होते हैं। इसकी डोडी लम्बाई में ४ से ६ अंगुल तक होती है। डोडी के अन्दर कोमल रुई से आवृत काले रंग के बीज होते हैं। इसका बीज जहां गिरता है वहीं चौमासे में ऊग आता है। आक की लकड़ी हल्की पोची या पीली होती
(धन्व० वनौ० विशे० भाग १ पृ०२९१.२९२)
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अक्क बोंदी अक्क बोंदी (अर्क ‘बोंदी') सूरजमुखी, सूर्यमुखी
भ० २२/६ प० ११४०५ विमर्श-बोंदी देशीय शब्द है। इसका अर्थ है
मुख, मुंह (देशीनाममाला ६।९९) अक्क शब्द का अर्थ है सूर्य। अक्क बोंदी का अर्थ हुआ सूर्यमुखी, सूरज मुखी। सूर्यमुखी। स्त्री। पुष्पवृक्षविशेषे।
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ११४७) सूर्यमुखी के पर्यायवाची नाम -
आदित्यपर्णिका,आदित्यपर्णिनी,आदित्यभक्ता, रविप्रीता। अन्य भाषाओं में नाम -
हि०-सूरजमुखी, सूर्यमुखी। बं०-सूरजमुखी। बोम्बे- सूरजमुखी। म०-सूर्यफूल। उ१०-सूरजमुखी। ते०-आदित्य भक्तिचेटु। मलय०-सूर्यकन्दी। अ०-अर्दियून, अर्झवाना फा०-गुलआफताब, परस्त, गुले आफताब परस्त। अं०- Sunflower (सनफ्लावर)। ले०-Helianthus Annuus (हेलिएन्थस एन्युएस)।
उत्पत्ति स्थान-यह अमेरीका का आदिवासी है और भारत में सर्वत्र वाटिकाओं में इसको लगाया जाता है।
विवरण-यह भृङ्गराजादिकुल का एकवर्षजीवी प्रसिद्ध पुष्प क्षुप प्रायःसब प्रदेशों की वाटिकाओं में रोपण किया जाता है। इसके क्षुप ४ से ५ हाथ ऊंचे होते हैं। पत्ते डंडी की ओर चौडे, आगे को संकुचित, लम्बे, खुरदुरे और पुराने होने पर झालर के समान कटे किनारेदार होते हैं। इन पर रोयें होते हैं। फूल बड़े-बड़े सूर्याकार गोल अनेक दल सहित नारंगी रंग के दिखाई देते हैं। कितने ही मनुष्य राधापद्म (जिसके फूल पीले होते हैं और आकृति सूरजमुखी फूल से बड़ी होती है तथा दल कम होते हैं।) सूर्यमुखी मानते हैं। सूरजमुखी फूल का मस्तक भोर के समय पूरब की तरफ रहता है। सूर्य की गति के साथ ही साथ यह ऊंचा होकर दिन के शेष भाग में पश्चिम की ओर नत हो जाता है। सदा सर्वदा सूर्य की ओर इसका मुख रहता है। इसी कारण इसको सरजमखी कहते हैं। फलों के मध्य भाग में केसर कोष रहते हैं और इनके बीच कसूम के बीज
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