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क्रमांक प्रथाक
मन्थनाम
६५३
३०११
स्वप्नाध्याय
६५४ | ३१८६ | स्वप्नाध्याय ६५५ | १७४० स्वरोदय
( नरपतिजयचर्या ) ६५६ १७५६ स्वरोदय
६५७ २५१० स्वरोदय ६५= | ३७८६ | स्वरोदय ६५६ ३७२६ |स्वरोदय नापा पद्य १६० | ३७०२ | स्वरोदयशास्त्र ६६१ | २५४= | हस्त रेखा चित्र ६६२ | १७४ = |इंसचक्र ६६३ | २६३० | हायनरत्नटीका
६६४
६६५
राजस्थान पुरातत्रान्वेषण मन्दिर
३०४० हिल्लाजताजिक ६८५ |होराप्रदीप सार्थ
६६६ | ३२२१ | छोराप्रदीपक सार्थ
६६७
१७५८ |होलीविचार कार्तिक शुक्ला ५ विचारादि
कर्त्ता
चरनदास
चिदानंद
चरनदास
जीवनाथ
बलभद्र
भाषा
सं० १६वीं श.
१७६०
१८८०
"
19
ब्रःहि०
रा० सं०
व्र हि०
सं०
लिपि -
समय
29
१६०२
१९११ १८वीं श.
१६वीं श
१७वीं श
रा०गु० १६वीं श. सं. १६वीं श
१६वीं श.
पत्र
संख्या
१६०८
"
मू.सं.अ. १६वीं श. रा गु.
मू सं . १८६२
रा.गु. ब्र. हि. गु. १६वीं श.
१
५
કદ
१४
aw is mar.
२१
१३
२
११०
२४
५
१०
१
10
विशेष
भुजनगर में लिखित कर्ता का नाम रनजीत था, उनके गुरु सुखदेवजी ने बदल कर चरनदास रखा सं० १६०७ में रचित
अपूर्ण । पत्र १,१५से २० तथा ५ वा
अप्राप्त ।