Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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[२२२
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक
पत्र
प्रन्थनाम ।
का
भाषा | लिपि-
। विशेष
। समय | संख्या हीराणंद · रागू १६वीं श. ४-५
र०सं०१४८५।
१८२४
विद्याविलास पवाडउ
। १६७६
१८२७ विद्याविलास पवाडउ २०१३ | विद्याविलास पवाडउ
,
४३१ | ३५४४ विद्याविलास पवाडउ
१७वीं श.
६
४३२ १००४ विनयचटरास
ऋषभसागर
४३३ २१२३ विमलमंत्री रास
लावण्यसमय
४३४, २३७४ विमलमंत्री रास
| र० सं० १४८५ १६वीं श. ५ सं० १४८५ में
रचित । । सं० १४८५ में
रचित । । १८७६ ५३ सं०१८१० में पुरबिदर
| मे रचना। मांडवी
| बिन्दर में लिखित। १८वीं श. २६ । सं० १५६८ मे माल.
मुद्र मे रचित । १८५७ ३-१४१ स. १५६८ में माल
समुद्र मे रचित। १७वीं श. ६५ | सं० १५६८ में
मालसमुद्र में रचित। वीकानेर में लिखित, स० १७४५ में नवानगर में रचित। जोरावरसिंहजी शासित सिणधरी में लिखित । रचना स०१६८६।
सोमितरामें लिखित। १८वीं श. १से२५
४३५ ३५३४ विमलमंत्री रास
४३६ | २१४८ वीरभाणउदैभाणचोपाई कुशलसागर
१८४२
८३७ ३६६८ वीसस्थानकरास
४३८ १६५० वृन्दावनशतभाषा ४३६३ ३५१३ | वृद्धिसागरनिर्वाणरास | दीपमुनि
३१३४ वेतालपचीसीकथा गद्य
,
६३४
वेतालपचीसी गद्य
"
२१४२
वेतालपचीसी गाथा
देवसील
दूहावध
४४३
२१
| वेतालपच्चीसी
देवीदान नाइता
१८९० ६१ । मानकूया में
लिखित । १६वीं श. १-१५ वडाविग्राम में सं०
१६१६ में रचना। १८६० १३-३५ पद्य रचना बीकानेर
नृप अनूपसिंह के कुतूहलार्थ रचित । लूणकर्णसर में लिखित

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