Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 308
________________ २६६ ] राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - - क्रमांक ग्रन्थाङ्क प्रन्थनाम . कर्ता लिपि- पत्रसमय संख्या विशेष हीरकलश रा०गू० १७वीं श. ६६ वां ७७३ | २८६३ | बीकानेर मंडन आदि (३४) | जिनस्तवन ३५७५ | वीरजिनगुहली विद्यारग " ०वीं श.२६६ वां (१) ३५७५ ३५७५ वीरजिनपंचकल्या- सकलचंद , " ३४६एक स्तवन ३५२ ४१६ | वीरजिनस्तवन मूल्यशोविजय " | १८७६ / ८६ । दुढकमतनिराकरण बालावबोध सहित वा० पद्मविजय कृष्णगढ़ में लिखित । | वीरजिनस्तुति स्तवन | यशोविजय , " २०वा श. ३२७- इदलपुर मे दोसी २०वीं श. ३२७(७८) ३४० मूला सुत दोसी मेघा के लिये सवत १७३३ में रचना। ७८ ३५७५ | वीरदेशना स्तवन शिवचद्रपाठक " २०वीं श. २६७ २६८ ७७E | ३५७५ वीरदेशना स्तवन शिवचन्द्र | " " ३०६ वां (७२) ३५७५ वीसस्थानक स्तवन बसतो मुनि १०० १०२ ३५७५ वैराग्य सज्झाय विजयभद्र २४८(५१) २५० २८६३ | शत्रु जय इगतालीस १७वीं श ८७-८८ नामगर्भितनमस्कार ३५७५ शत्रु जयवीनति देवचन्द्र २०वीं २७७ २८० २८६३ / शत्रु जयस्तवन रगकलश " १७वीं श ३रा (४) ३५७५ शान्तिजिनस्तवन " २०वीं श ११३ ११७ २३६८ शान्तिनाथस्तवन | गुणमागर राज० १६वीं श. २६-३१ (३) २३६८ | शान्तिनाथस्तवन शान्तिकुशल रागू १८वीं श ३६ यां (१०) w= ' ३५७३ । शान्तिनाथस्तवन ६८-६ जीणे प्रति । (२३) २ मेषमुनि (२७) । । धर्म

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